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वीरेंद्र सहवाग ने बयां की साल 2003 वर्ल्ड कप की कहानी, बताया अख्तर की धमकी और अफरीदी की गाली का कैसे दिया जवाब

वीरेंद्र सहवाग को नहीं भाया टीम इंडिया की ओपनिंग जोड़ी, सुझाया खुद के जैसा बतौर ओपनर विस्फोटक बल्लेबाज का नाम

इंडिया, पाकिस्तान के बीच खेले जाने वाले मैच(IND vs PAK) में हमेशा एक उत्साह दिखाई देता है. दोनों टीमों के बीच होने वाले मैच में न सिर्फ फैंस बल्कि मैदान पर काफी गर्मा-गर्मी का माहौल दिखाई देता है. जल्द ही इंडिया पाकिस्तान एशिया कप में आपस में भिड़ती हुई नज़र आएंगी.

इस मैच से पहले भारतीय टीम के पूर्व बल्लेबाज़ वीरेंद्र सहवाग (VIRENDRA SEHWAG) ने साल 2003 वर्ल्ड में खेले गए इंडिया पाकिस्तान मैच की कुछ बातें सांझा की है. उन्होंने अपनी बातों के ज़रिए बताया कि दोनों टीमों के बीच मैदान पर रोमांच काफी बढ़ जाता है.

शोएब अख्तर ने दिया था बड़ा बयान-वीडियो

बता दें, वीरेंद्र सहवाग(VIRENDRA SEHWAG) ने साल 2003 में खेले गए मैच के बारे में बात करते हुए बताया कि उस साल दोनों टीमें सेंचुरियन में एक दूसरे के आमने-सामने थीं.

सहवाग ने बताया कि मुझे याद कि उस वक़्त शोएब अख्तर(SHOIB AKHTAR) की तरफ से एक बयान दिया गया था, जिसमें कहा गया था कि वो भारतीय शीर्ष क्रम को पूरी तरह से तहस-नहस कर देंगे. उन्होंने बताया कि उस वक़्त मैंने उस बयान को सुना नहीं था क्योंकि तब हमारे पास टीवी देखने या अखबार पढ़ने का मौका नहीं मिला करता था.

अफरीदी ने गालियों से ध्यान भटकानें की थी कोशिश

shahid afridi

सहवाग ने बताया कि उस मैच क पहले ही ओवर में सचिन तेंदुलकर(SACHIN TENDULKAR) ने शोएब अख्तर(SHOAIB AKHTAR) के पहले ओवर में 18 रन ले लिए थे. इसके बाद फील्ड पर मौजूद शाहिद अफरीदी (SHAHID AFRIDI) ने गालियां देकर सचिन के ध्यान को भटकाने की काफी कोशिश की थी, लेकिन सचिन अपनी समझदारी से क्रीज़ पर खड़े रहे.

सचिन जनाते थे कि उस वक़्त उनका परफॉर्मेंस टीम के लिए क्या माएने रखता है. सचिन तेंदुलकर ने उस मैच में टीम के लिए मह्तवपूर्ण पारी खेली, जिससे टीम को जितने में काफी मदद मिली.

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क्या था मैच का हाल

बता दें, उस मैच में पाकिस्तान ने  पहले बल्लेबाज़ी करते हुए भारतीय टीम के सामने 274 रनों का लक्ष्य रखा था. बाद में बल्लेबाज़ी करने भारतीय टीम ने इस लक्ष्य को 4 विकेट खोकर 26 गेंद पहले ही हासिल कर लिया था. इस मैच में सचिन ने 98 रनों की शानदार पारी खेली थी.

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शॉन टेट ने चुनी अपनी ऑलटाइम प्लेइंग इलेवन, भारतीय खिलाड़ियों का दबदबा है कायम, जानिए कौन है कप्तान

शॉन टेट ने चुनी अपनी ऑलटाइम प्लेइंग इलेवन, भारतीय खिलाड़ियों का दबदबा है कायम, जानिए कौन है कप्तान

ऑस्ट्रेलिया पूर्व तेज़ गेंदबाज़ शॉन टेट (SHAUN TAIT) अपनी तेज़ तर्रार स्पीड के जाने जाते थे. उन्होंने अपने करियर में कई बल्लेबाज़ों को खौफ में रखा है. ऑस्ट्रेलिया से हमेशा से ही ज़बरदस्त तेज़ गेंदबाज़ दिए है, जिन्होंने वर्ल्ड क्रिकेट में राज किया है. आज भी ऑस्ट्रेलिआई तेज़ गेंदबाज़ों का दबदबा उसी तरह कायम है.

शॉन टेट (SHAUN TAIT) ने स्पोर्ट्सकीड़ा से बात करते हुए अपनी ऑलटाइम प्लेइंग इलेवन चुनी. अपनी इस टीम में उन्होंने चार भारतीय खिलाड़ी को भी जगह दी. भारतीय खिलाड़ियों के अलावा उन्होंने अपनी प्लेइंग इलेवन में चार ऑस्ट्रेलियाई, दो पाकिस्तान और दो वेस्टइंडीज के खिलाड़ियों को भी शामिल किया. आइए जानते हैं कैसी है शॉन टेट की प्लेइंग इलेवन.

ओपनिंग जोड़ी

Virendra Sehwag

अपनी टीम में पारी की शुरुआत करने के लिए उन्होंने पूर्व भारतीय ओपनर वीरेंद्र सहवाग (VIRENDRA SEHWAG) और पूर्व ऑस्ट्रेलियाई विकेटकीपर बल्लेबाज़ एडम गिलक्रिस्ट को चुना.

वीरेंद्र सहवाग अपने वक़्त के एक खतरनाक ओपनर थे. सहवाग उन बल्लेबाज़ों में शुमार थे, जो हमेशा और हर प्रारूप में आक्रमक खेल खेलना पसंद करते थे.

वहीं, एडम गिलक्रिस्ट अपने वक़्त से शानदार बल्लेबाज़ों में से एक थे. नंबर तीन पर उन्होंने पूर्व ऑस्ट्रेलिआई कप्तान रिकी पोंटिंग को जगह दी. पोंटिंग ने अपने क्रिकेट करियर में कुल 71 इंटरनेशनल सेंचुरी बनाई हैं, जो सचिन तेंदुलकर के बाद सबसे ज़्यादा है.

मिडिल ऑर्डर

Sachin Tendulkar

शॉन टेट ने अपने मिडिल ऑर्डर को चुनते हुए नंबर चार पर क्रिकेट के भगवान कहे जाने सचिन तेंदुलकर को चुना. नंबर पांच पर वेस्टइंडीज के पूर्व दिग्गज ब्रायन लारा, नंबर छह पर भारतीय मौजूदा बल्लेबाज़ विराट कोहली और नंबर सात पर पारी को खत्म करने के लिए उन्होंने भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और फिनिशर महेंद्र सिंह धोनी को चुना.

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गेंदबाजी क्रम

Shane Warne

गेंदबाज़ी क्रम को पूरा करते हुए उन्होंने स्पिनर्स में सबसे पहले पूर्व दिग्गज स्पिनर शेन वॉर्न को अपनी टीम में रखा. इसके बाद उन्होंने पूर्व पाकिस्तानी गेंदबाज़ वसीम अकरम, शोएब अख्तर और पूर्व ऑस्ट्रेलिआई तेज़ गेंदबाज़ ग्लेन मैक्ग्रा को चुना.

शॉन टेट की प्लेइंग इलेवन

वीरेंद्र सहवाग, एडम गिलक्रिस्ट, रिकी पोंटिंग, सचिन तेंदुलकर, ब्रायन लारा, विराट कोहली, महेंद्र सिंह धोनी, शेन वॉर्न वसीम अकरम, ग्लेन मैक्ग्रा, शोएब अख्तर.

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Virender Sehwag से भी ज्यादा खतरनाक और विस्फोटक हैं ये 3 खिलाड़ी, लिस्ट में 2 भारतीय भी शामिल

Virender Sehwag से भी ज्यादा खतरनाक और विस्फोटक हैं ये 3 खिलाड़ी, लिस्ट में 2 भारतीय भी शामिल

पहली ही गेंद से गेंदबाजों की धुनाई करने वाले भारतीय टीम के पूर्व सलामी बल्लेबाज Virender Sehwag अपने खास और यूनिक प्रदर्शन के लिए पहचाने जाते थे। चाहे टेस्ट क्रिकेट हो या वनडे वीरेंद्र सहवाग क्रिकेट के हर फॉर्मेट में धुआंधार बल्लेबाजी करते हुए गेंद को बाउंड्री के बाहर पहुंचा ही देते थे, जिसके चलते उन्होंने वनडे में 104.34 और टेस्ट क्रिकेट में 82.23 के स्ट्राइक रेट से ताबड़तोड़ रन जड़े हैं।

आज के इस आर्टिकल में हम आपको ऐसे खिलाड़ियों के बारे में बताएंगे जिन्होंने वीरेंद्र सहवाग से भी ज्यादा स्ट्राइक रेट के साथ रन जड़े हैं और उनसे भी ज्यादा खतरनाक साबित हुए हैं।

पृथ्वी शॉ

Prithvi Shaw

22 वर्षीय युवा खिलाड़ी पृथ्वी शॉ भारतीय टीम के बेखौफ बल्लेबाज हैं जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 86.24 के स्ट्राइक रेट के साथ और वनडे में 113.86 के स्ट्राइक रेट के साथ रन बनाए हैं। वीरेंद्र सहवाग के मुकाबले काफी कम क्रिकेट खेलते हुए भी पृथ्वी शॉ ने ताबड़तोड़ प्रदर्शन दिखाया है।

लियाम लिविंगस्टोन

LIAM LIVINGSTON

सिक्स मशीन के नाम से मशहूर इंग्लैंड के विस्फोटक बल्लेबाज लियाम लिविंगस्टोन का स्ट्राइक रेट वनडे क्रिकेट में 142 तक रहा है तो वहीं टेस्ट क्रिकेट में इन्होंने 154.75 के स्ट्राइक रेट के साथ रन जड़े हैं। सहवाग से ज्यादा के स्ट्राइक रेट से खेलने वाले इस खिलाड़ी का प्रदर्शन भी काफी खतरनाक रहा है।

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सूर्यकुमार यादव

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सूर्यकुमार यादव भारतीय टीम के एक फौलादी खिलाड़ी हैं जिन्हें अब तक टेस्ट क्रिकेट खेलने का मौका नहीं मिला पर वनडे और टी-20 मैच खेलते हुए इन्होंने अपनी बल्लेबाजी से काफी धमाल मचाया है। सूर्यकुमार यादव ने t20 में 177.23 और वनडे में 103.09 के स्ट्राइक रेट के साथ रन जड़े हैं।

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डेब्यू मैच के दौरान इन 5 लकी क्रिकेटरों को मिला कप्तानी करने का मौका, लिस्ट में सबसे धाकड़ बल्लेबाज का नाम

डेब्यू मैच के दौरान इन 5 लकी क्रिकेटरों को मिला कप्तानी करने का मौका, लिस्ट में सबसे धाकड़ बल्लेबाज का नाम

 

प्रत्येक क्रिकेटर का एक सपना होता है, कि वह राष्ट्रीय स्तर पर अपनी टीम का प्रतिनिधित्व (Captancy) कर सके। ऐसी स्थिति में किसी खिलाड़ी को डेब्यू मैच में ही कप्तानी करने का मौका मिल सके, तो उसके लिए सोने पर सुहागा साबित होता है। आज इस आर्टिकल के जरिए हम भारत के ऐसे ही 5 खिलाड़ियों के बारे में बात करेंगे, जिन्हें पहले ही मैच के दौरान अपनी टीम में कप्तानी करने का सौभाग्य मिल सका। आइए जानते हैं उन पांच सौभाग्यशाली खिलाड़ियों के बारे में।

सीके नायडू

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भारतीय टीम द्वारा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की शुरुआत 1932 में इंग्लैंड के विरुद्ध टेस्ट खेलकर की गई थी, जिसमें चंद्रबाबू नायडू को कप्तानी करने का मौका मिल सका था। अपने करियर के दौरान नायडू चार टेस्ट मैचों में भारत की कप्तानी करने में कामयाब रहे, जिनमें भारत को तीन मैचों में हार का सामना करना पड़ा और एक टेस्ट मैच ड्रा हो गया।

महाराज कुमार ऑफ विजयनगरम

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अपने डेब्यू मैच के दौरान कप्तानी का मौका मिलने वाले नायडू के बाद महाराज कुमार ऑफ विजयनगरम दूसरे खिलाड़ी थे। इंग्लैंड के विरुद्ध वर्ष 1936 में खेली गई टेस्ट सीरीज के दौरान उन्हें कप्तानी का मौका मिल सका।

इफ्तिखार अली खान पटौदी

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वर्ष1946 में इंग्लैंड दौरे पर दाएं हाथ के पूर्व महान बल्लेबाज इफ्तिखार अली खान पटौदी को डेब्यू का मौका मिल सका था। इस टेस्ट के दौरान पटौदी को टीम की कप्तानी करने का भी मौका मिला था। बतौर कप्तान इफ्तिखार पटौदी एक टेस्ट हारे, जबकि दो टेस्ट ड्रा रहे।

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अजित वाडेकर

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भारतीय टीम द्वारा 1932 में टेस्ट डेब्यू किया गया था। वर्ष 1974 में पहला वनडे खेला गया था। दिग्गज अजीत वाडेकर को इस मैच के दौरान टीम का कप्तान बनाया गया था। इसके चलते वह भारत के पहले वनडे कप्तान बने थे। वाडेकर की कप्तानी के दौरान दोनों वनडे में भारतीय टीम को हार का सामना करना पड़ा था।

वीरेंद्र सहवाग

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भारतीय टीम के बहुत ही कम फैंस इस बात को जानते होंगे, कि भारत के पहले कप्तान अंतरराष्ट्रीय टी20 में वीरेंद्र सहवाग थे। वर्ष 2006 में साउथ अफ्रीका की सरजमीं पर भारतीय टीम द्वारा पहला टी20 खेला गया था। इस मैच के दौरान सहवाग द्वारा बतौर कप्तान टीम इंडिया को जीत दिलाई गई। हालांकि इस मैच के बाद वीरेंद्र सहवाग को दोबारा टी20 में भारत की कप्तानी करने का मौका नहीं मिल सका।

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भारत का मजाक उड़ाने की कोशिश में उड़ता तीर ले लिया पाकिस्तानी होस्ट ने, वीरेंद्र सहवाग पड़ गए पीछे जमकर उड़ाई खिल्ली

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पूर्व भारतीय बल्लेबाज़ वीरेंद्र सहवाग(VIRENDRA SWHEAG) इन दिनों चर्चाओं में आ गए हैं. एक पाकिस्तानी होस्ट ने वीरेंद्र सहवाग और पूर्व तेज़ गेंदबाज़ आशीष नेहरा(ASHISH NEHRA) का ट्वीटर पर मज़ाक उड़ाया है. उसनें आशीष नेहरा को भाला फेंक खिलाड़ी बताते हुए उनकी पाकिस्तानी भाला फेंक खिलाड़ी अरशद नदीम से तुलना तक कर दी. जैद हामिद नाम एक होस्ट ये बत्तमीज़ियां की हैं. बता दें, कॉमनवेल्थ गेम्स ने पाकिस्तानी भाला फेंक अरशद नदीम ने 90 से ज़्यादा भाला फेंक गोल्ड मेडल जीता है.

अरशद नदीम की जीत के बाद किया था ट्वीट

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अरशद नदीम की जीत के हाद ज़ैद हामिद नाम के इस शख्स ने एक ट्वीट कर लिथा था, “अरे जो इस जीत को मधुर बनाती है. वो यह है कि इस पाकिस्तानी एथलीट ने भारतीय भाला फेंक के हीरो आशीष नेहरा को तबाह कर दिया है. पिछले मुकाबले में आशीष नेहरा ने अरशद नदीम को हराया था. कितना प्यार बदला लिया है.”

सहवाग ने दिया करारा जवाब

वीरेंद्र सहवाग ने ज़ैद हामिद के इस ट्वीट का एक करारा जवाब दिया है. उन्होंने इस ट्वीट का जवाब देते हुए लिखा, “चाचा, आशीष नेहरा इस वक़्त यूके के प्राइम मिनिस्टर के इलेक्शन की तैयारी कर रहा है…. मज़े करिए. सहवाग के इस ट्वीट के बाद माहौल काफी गर्म हो गया है और ज़ैद हामिद नाम के इस शख्स को जमकर ट्रोल किया जा रहा है.

इंडिया में ट्वीटर अकाउंट बैन

पाकिस्तानी होस्ट ज़ैद हामिद का भारत में ट्वीटर अकाउंट बैन कर दिया गया है. इस ट्वीट के बाद ज़ैद हामिद को सोशल मीडिया पर भारतीय प्रशंसको द्वारा जमकर ट्रोल किया गया. हालांकि, इस मुद्दे को देखते हुए ट्वीटर इंडिया की तरफ से कदम उठाया गया कि उनके अकाउंट को बैन कर दिया गया है.

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अरशद नदीम ने तोड़ा नीरज चोपड़ा की रिकॉर्ड

Arshad Nadeem

बता दें, कॉमनवेल्थ गेम्स में अरशद नदीम ने नीरज चोपड़ा का रिकॉर्ड तोड़ दिया है, जो उन्होंने डायमंड लीग में बनाया था. नीरज के नाम 89.94 मीटर का रिकॉर्ड था और वहीं, अरशद नदीम में कॉमनवेल्थ गेम्स में 90.18 मीटर दूर भाला फेंक गोल्ड जीता और एक नया रिकॉर्ड कामय किया. हालांकि, नीरज चोपड़ा अपनी इंजरी के चलते कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा नहीं ले सके थे.

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टीम इंडिया के खिलाड़ी के बीच 5 बड़े झगड़े जो नहीं थी अफवाह, करियर खत्म होने के बाद भी नहीं खत्म हुई दरार

टीम इंडिया के 5 झगडे

आज हम टीम इंडिया के उन 5 खिलाड़ियों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके बीच की दरार शायद कभी खत्म नहीं हुई। भारतीय टीम

1. लाला अमरनाथ और महाराज कुमार ऑफ विजयनगरम

लाला अमरनाथ को भला कौन नहीं जानता है। उन्होंने 1933-34 में भारत दौरे पर आयी इंग्लैंड की टीम के खिलाफ बंबई में खेले गये टेस्ट में डेब्यू किया था। दूसरी पारी में उन्होंने 118 रन बना कर टीम इंडिया की तरफ से टेस्ट क्रिकेट में पहला शतक ठोकने का अनूठा गौरव हासिल किया था। बात उस समय की है जब 1936 में महाराज कुमार ऑफ विजयनगरम ‘विज्जी’ की कप्तानी में भारतीय टीम इंग्लैंड के दौरे पर गयी थी। वहां पर लाला और ‘विज्जी’ के बीच इस कदर ठनी कि लाला को दौरे के बीच में ही स्वदेश भेज दिया गया। इस वजह से उनके ऊपर ‘बैड ब्वॉय ऑफ इंडियन क्रिकेट’ का ठप्पा भी लग गया था। उनका और अन्य कई लोगों का कहना था कि टीम से हटा कर वापस भेजने का फैसला अनुशासनात्मक नहीं बल्कि टीम की राजनीति का नतीजा था.

2. एमएस धोनी और वीरेंद्र सहवाग

धोनी सहवाग
धोनी सहवाग

इसमें कोई दो राय नहीं कि धोनी को टीम इंडिया के एक बेहतरीन कप्तान के तौर पर जाना जाता है। वहीं सहवाग को भी बेशक दुनिया के बेहतरीन टेस्ट ओपनर के तौर पर जाना जाता है। इन दोनों महान खिलाड़ियों को बीच कभी अच्छा तालमेल हुआ करता था। धीरे-धीरे दोनों के बीच दूरियां बढ़ती गई। इसकी शुरुआत 2012 के ऑस्ट्रेलिया में होने वाले ट्राई सीरीज में के दौरान हुई जब धोनी ने ये निर्णय लिया की तीन खिलाड़ियों (सचिन,सहवाग,गंभीर) में से किसी एक को रेस्ट देंगे। इसके पीछे की वजह उनकी धीमी फील्डिंग को बताया गया। हालांकि अगले ही मैच में सहवाग ने बेहतरीन कैच तो पकड़ा ही सीधे धोनी को तक ये संदेश दे पहुंचा दिया कि वे आज भी फील्डिंग में चुस्त हैं। हालांकि सहवाग और धोनी की तालमेल ज्यादा नहीं चली और सहवाग को टीम से ड्रॉप कर दिया गया।

3. राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर

एक ऐसा मैच जब भारतीय टीम के सभी 11 खिलाड़ियों ने की गेंदबाजी, लक्ष्मण, द्रविड़ और वसीम जाफर को मिले थे विकेट

आज भी फैंस राहुल के उसSet featured image निर्णय को नहीं भुला पाए हैं जब उन्होंने सचिन की डबल सेंचुरी नहीं होने दी और पारी को डिक्लेयर कर दिया था। सचिन ने इस वाक्ये का जिक्र अपनी बायोग्राफी Playing it My Way में भी किया है। 29 मार्च 2004, भारतीय फैंस के लिए एक ना भूलने वाला दिन है। इसी दिन टीम इंडिया के उस समय के कप्तान राहुल द्रविड़ ने भारतीय पारी घोषित करने का फैसला किया, जबकि दिग्गज सचिन तेंदुलकर तब 194 रन बनाकर क्रीज पर जमे थे। सचिन ने कहा था कि उन्हें 2 ओवर पहले ही वापस बुलाया गया था, जबकि पहले ऐसी बात नहीं हुई थी। हालांकि द्रविड़ ने इस घटना के बाद अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि उनके लिए वह मैच जीतना जरूरी था और उन्होंने टीम के हित में फैसला लिया। लेकिन बात जब सिर्फ 2 ओवर की आती है तो पारी घोषित करने की बात नहीं पचती।

4. सुनील गावस्कर और कपिल देव

कपिल देव

अपने समय के दुनिया के महान बल्लेबाजों में शुमार सुनील गावस्कर और महानतम ऑलराउंडर्स में से एक कपिल देव के बीच भी रिश्तों में दरार आने की खबर खूब चली। दरअसल, हुआ यूं कि 1984 में जब कपिल देव अपने टॉप फॉर्म पर थे, तब उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच में टीम इंडिया का हिस्सा नहीं बनाया गया। यह भारत-इंग्लैंड सीरीज का तीसरा टेस्ट था और कोलकाता में होने वाला था।

फैंस के लिए इस बात को हजम करना और भी मुश्किल हो रहा था कि एक साल पहले देश को विश्व कप दिलाने वाले कपिल देव को टीम से बाहर कर दिया गया। हालांकि, इसके लिए पिछले टेस्ट में उनके द्वारा खेला गया खराब शॉट का हवाला दिया गया। बताया जाता है कि कपिल देव के इस गैरजिम्मेदाराना शॉट और बर्ताव से गावस्कर काफी नाराज थे।

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5. सचिन तेंदुलकर और मोहम्मद अजहरुद्दीन

मोहम्मद अजहरुद्दीन

1999 विश्व कप में टीम इंडिया का प्रदर्शन काफी खराब रहा। यही वजह थी कि मोहम्मद अजहरुद्दीन को कप्तानी से हटा दिया गया और तेंदुलकर को टीम की कमान सौंपी गई। अजहर टीम से भी बाहर भी हो गए थे। यही वजह थी कि तेंदुलकर और अजहर के रिश्ते में खटास आई। दोनों खिलाड़ियों के बीच मतभेद की खूब चर्चा भी रही। 1999-2000 के ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर सचिन अगवाई में गई टीम इंडिया को करारी हार झेलनी पड़ी थी। इस टीम में अजहर शामिल नहीं थे।

इसके बाद अजहर की टीम में वापसी की चर्चा होने लगी तो कई खिलाड़‍ियों ने उनको टीम में शामिल करने का विरोध किया था। इसके बाजवूद जब अजहर को टीम में शामिल किया गया तो सचिन तेंडुलकर ने कप्तानी छोड़ दी थी। हालांकि सचिन ने कभी भी इस बात का जिक्र नहीं किया कि उन्होंने अजहर की वजह से टीम की कप्तानी को छोड़ी। लेकिन एक्सपर्ट्स की यह राय थी सचिन ने इसी वजह से सचिन ने कप्तानी छोड़ी थी।

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मिडिल ऑर्डर के इन 6 भारतीय बल्लेबाजों को नहीं मिलता ओपनिंग का मौका तो हो जाते गुमनाम, पारी की शुरुआत करते ही जड़े शतक

मिडिल ऑर्डर के इन 6 भारतीय बल्लेबाजों को नहीं मिलता ओपनिंग का मौका तो हो जाते गुमनाम, पारी की शुरुआत करते ही जड़े शतक

साल 2019 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ Test Cricket में रोहित शर्मा द्वारा ओपनिंग करते हुए शतक जड़ा गया था। भारतीय क्रिकेट के लिए अस्थाई सलामी बल्लेबाज का इस्तेमाल करना कोई नई बात नहीं है जब 90 के दशक के दौरान टीम प्रबंधन के लिए विकल्पों की भारी कमी हुआ करती थी तब टीम द्वारा गैर नियमित सलामी बल्लेबाजों का काफी इस्तेमाल किया जाता था।

आज के इस आर्टिकल में हम आपको ऐसे ही गैर नियमित सलामी बल्लेबाजों के बारे में बताएंगे, जिन्होंने टेस्ट मैचों में पारी की शुरुआत करते हुए शतक जड़े हैं।

दीप दासगुप्ता

दीप दासगुप्ता भारत के पूर्व भारतीय विकेटकीपर बल्लेबाज हैं जिन्होंने भारत के लिए कुल 8 टेस्ट मैच खेले हैं, जिसमें से 7 मैचों में उनके द्वारा पारी की शुरुआत की गई थी।

इंग्लैंड के खिलाफ 3 दिसंबर 2001 को मोहाली में खेले गए टेस्ट मैच में 254 गेंदों का सामना करते हुए 15 चौकों के साथ 100 रन बनाकर उन्होंने अपना एकमात्र शतक जड़ा था।

नयन मोंगिया

नयन मोंगिया को 90 के दशक के दौरान कई बार सलामी बल्लेबाज के रूप में क्रीज पर बल्लेबाजी करने के लिए भेजा गया। 44 टेस्ट मैच खेलते हुए उन्होंने 15 मैचों में पारी की शुरुआत करी और बतौर ओपनर बल्लेबाजी करते हुए उनके द्वारा 655 रन बनाए गए, जिसमें उनकी औसत 27.29 की रही।

10 अक्टूबर 1996 को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एकमात्र टेस्ट मैच में उनके द्वारा पारी की शुरुआत करते हुए 336 गेंदों में 152 रन बनाए गए थे जिसके चलते भारतीय टीम को 7 विकेट से जीत मिली थी।

मनोज प्रभाकर

90 के दशक में टीम प्रबंधन जो कुछ मनोज प्रभाकर से चाहती थी उन्होंने वह सब कुछ किया और भारत के लिए 39 टेस्ट मैच खेलते हुए उन्होंने 23 मैचों में पारी की शुरुआत भी करी जिस दौरान उनका औसत कुल 35.48 का रहा। 10 दिसंबर 1994 को वेस्टइंडीज के खिलाफ मोहाली में उनके द्वारा एकमात्र टेस्ट शतक जड़ा गया था।

पहली बार 406 मिनट तक बल्लेबाजी करते हुए उन्होंने 120 रनों का स्कोर बनाया था पर दूसरी पारी में वह शून्य पर रिटायर्ड हर्ट हो गए जिसके चलते भारतीय टीम को 234 रनों से हार का सामना करना पड़ा था।

रवि शास्त्री

80 टेस्ट मैचों में रवि शास्त्री का औसत 35.79 का रहा है पर 17 टेस्ट मैचों में उनके द्वारा 44.04 की औसत के साथ सलामी बल्लेबाजी करी गई है। उन्होंने अपने 11 शतकों में से चार शतक बतौर सलामी बल्लेबाज लगाए हैं।

पाकिस्तान के खिलाफ कराची, इंग्लैंड के खिलाफ ओवल और लॉर्ड्स में एवं सिडनी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ रवि शास्त्री द्वारा शतक जड़े गए हैं।

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वीवीएस लक्ष्मण

बतौर मध्यक्रम बल्लेबाज अपनी जगह बनाना वीवीएस लक्ष्मण के लिए काफी मुश्किल काम था ऐसे में उनके द्वारा दूसरे कई बल्लेबाजों की तरह पारी की शुरुआत करते हुए अपनी किस्मत आजमाई गई थी। 15 टेस्ट मैचों में 28.54 की खराब औसत के साथ वीवीएस लक्ष्मण द्वारा बनाए गए 685 रन शीर्ष क्रम पर किए उनके संघर्ष को दिखाते हैं।

बतौर शीर्षक्रम बल्लेबाज उन्होंने शिडनी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 167 रन बनाकर एकमात्र यादगार पारी खेली थी, इसके अलावा वीवीएस लक्ष्मण द्वारा बतौर सलामी बल्लेबाज कोई भी खास प्रदर्शन नहीं किया गया।

वीरेंदर सहवाग

अपने 104 टेस्ट मैचों में सहवाग द्वारा 99 पारियों कि शुरुआत की गई, जिसमें उन्होंने 50 से ऊपर की औसत के साथ रन बनाते हुए 22 शतक अपने नाम किए।

साल 2002 में पहली बार सहवाग द्वारा इंग्लैंड के खिलाफ ओपनिंग कराई गई थी और फिर लॉर्ड्स टेस्ट में 84 रनों की पारी खेलने के बाद उन्होंने नॉटिंघम टेस्ट में लाजवाब शतक जड़ा था।

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महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में इन 3 दिग्गज खिलाड़ियों के साथ हुई सबसे ज्यादा नाइंसाफी, नहीं मिला विदाई मैच खेलने का मौका

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भारतीय टीम में महेंद्र सिंह धोनी की Captaincy के दौरान कई दिग्गज खिलाड़ी खेलते हुए नजर आए हैं, यह खिलाड़ी धोनी से अनुभव के मामले में आगे भी हैं। इनमें से कुछ खिलाड़ी ऐसे भी रहे, जिनके द्वारा भारतीय टीम की कप्तानी भी की जा चुकी थी। उनके सामने महेंद्र सिंह धोनी बिल्कुल नए थे, समय के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में महेंद्र सिंह धोनी का अनुभव भी बढ़ता गया, और कप्तान बनने के बाद उनका भी एक कद सामने आया।

महेंद्र सिंह धोनी की भूमिका भारतीय टीम में खिलाड़ियों के चयन से लेकर अंतिम ग्यारह खिलाड़ियों तक खास रहीं। धोनी की कप्तानी में टीम से कई दिग्गज खिलाड़ी जैसे युवराज सिंह, गौतम गंभीर अंदर बाहर होते नजर आए हैं, वही दूसरी तरफ आईपीएल के दौरान चेन्नई सुपर किंग्स में धोनी के साथ खेलने वाले कई खिलाड़ भारतीय टीम के लिए खेलकर जा भी चुके हैं। जिनमें मनप्रीत गोनी और मोहित शर्मा के नाम प्रमुख हैं।

महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी के दौरान देखा गया कि कई दिग्गज खिलाड़ियों को उनके चुपचाप संन्यास लेकर चले जाने से उन्हें एक विदाई मैच तक नहीं मिल सका। वनडे क्रिकेट के दौरान ऐसा कई खिलाड़ियों के साथ होता नजर आया है। ऐसे ही 3 खिलाड़ियों का जिक्र हम इस आर्टिकल में करेंगे।

सचिन तेंदुलकर

सचिन तेंदुलकर

भगवान माने जाने वाले और क्रिकेट के दिग्गज खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर को वनडे क्रिकेट के दौरान विदाई मैच तक नहीं दिया गया था। उनके द्वारा अपना अंतिम वनडे मैच मार्च 2012 के एशिया कप में पाकिस्तान के खिलाफ ढाका में खेला गया था। वह धोनी की कप्तानी में खेल रहे थे, इसके बाद उन्हें टीम में शामिल नहीं किया जा सका।

सचिन तेंदुलकर की चयनकर्ताओं से क्या बातचीत हुई, यह तक सामने नहीं आया। उनके द्वारा चुपचाप दिसंबर 2012 को संन्यास की घोषणा कर सभी को चौंका दिया गया।

वीरेंद्र सहवाग

वीरेंद्र सहवाग

सचिन तेंदुलकर के साथ खेलने वाले दिग्गज भारतीय खिलाड़ी वीरेंद्र सहवाग के साथ भी कुछ ऐसा ही घटित हुआ था। टेस्ट क्रिकेट के दौरान दो तिहरे शतक और वनडे में दो दोहरे शतक जड़ने वाले सहवाग की गिनती भी भारतीय टीम के दिग्गज खिलाड़ियों में होती है।

जनवरी 2013 में ढाका में पाकिस्तान के खिलाफ अंतिम वनडे खेलने वाले सहवाग द्वारा कुछ साल इंतजार किया गया, लेकिन फिर भी उन्हें टीम में शामिल नहीं किया जा सका। 20 अक्टूबर 2015 को वीरेंद्र सहवाग द्वारा संन्यास की घोषणा कर दी गई।

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जहीर खान

जहीर खान

वर्ल्ड कप 2003 और 2011 में इस दिग्गज खिलाड़ी के गेंदबाजी के प्रदर्शन को भला किसके द्वारा भुलाया जा सकता है। उनके द्वारा पल्लेकेले में श्रीलंका के खिलाफ अपना अंतिम वनडे मैच खेला गया था, उसके बाद कुछ साल इंतजार करने के बाद 2015 में उन्होंने क्रिकेट से संन्यास ले लिया।

जहीर खान महान खिलाड़ियों की लिस्ट में शामिल थे। धोनी की कप्तानी के दौरान संन्यास लेने वाले यह तीसरे दिग्गज खिलाड़ी थे। सबसे खास बात यह रही कि इन तीनों खिलाड़ियों द्वारा लंबे समय तक सौरव गांगुली की कप्तानी में खेला गया था।

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वीरेंद्र सहवाग की तरह विस्फोटक बल्लेबाजी करते हैं ये 4 खिलाड़ी, नंबर 2 को तो टीम इंडिया में नहीं मिलता है मौका

Virendra Sehwag

क्रिकेट का कोई भी फॉर्मेट ही टेस्ट, वनडे या फिर टी20 वीरेंद्र सहवाग से गेंदबाज बचते ही नजर आते थे। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व खिलाड़ी वीरेंद्र सहवाग ( Virender Sehwag) अपनी विस्फोटक बल्लेबाजी के लिए याद किया जाए है। 2013 में जब उन्हे टीम इंडिया से बाहर किया गया इसके बाद वीरेंद्र सहवाग ( Virender Sehwag) टीम में वापसी नहीं कर पाए। जिसके बाद खिलाड़ी में सन्यास ले लिया।

वीरेंद्र सहवाग का स्ट्राइक रेट 82.23 टेस्ट क्रिकेट में रह चुका है। वनडे क्रिकेट में 104.34 और टी-20मे 145.39 स्ट्राइक रेट से रन बरसाए हैं, लेकिन आज हम आपको ऐसे चार खिलाड़ियों के विषय में बताने जा रहे हैं, जोकि वीरेंद्र सहवाग (Virender Sehwag) की तरह ही बल्लेबाजी करते हैं।

1-सूर्यकुमार यादव (Suryakumar Yadav)

SURYAKUMAR YADAV

भारतीय क्रिकेट टीम के टी20 फॉर्मेट में मिडिल ऑर्डर में बल्लेबाजी करने वाले सूर्यकुमार यादव ( Suryakumar Yadav) का स्ट्राइक रेट भी वीरेंद्र सहवाग (Virender Sehwag) जैसा ही है। सूर्यकुमार यादव ने वनडे और टी-20 मुकाबले में टीम इंडिया के लिए काफी शानदार प्रदर्शन किया है। सूर्यकुमार यादव का वनडे क्रिकेट में 130.09 स्ट्राइक रेट और टी20 में 177.23 स्ट्राइक रेट हैं। सूर्यकुमार यादव बहुत तेज बल्लेबाजी करने के लिए जाने जाते है।

2 – पृथ्वी शॉ (Prithvi Shaw)

Prithvi Shaw

भारतीय क्रिकेट टीम के युवा सलामी बल्लेबाज पृथ्वी शॉ ( Prithvi Shaw) बेहद खौफनाक अंदाज में बल्लेबाजी करते हैं। अगर स्ट्राइक रेट की बात करें तो पृथ्वी शॉ वीरेंद्र सहवाग से भी ज्यादा तेज विस्फोटक बल्लेबाजी करते हैं।

पृथ्वी शॉ का स्ट्राइक रेट टेस्ट क्रिकेट में 86.04 रह चुका है और वनडे क्रिकेट में 113.86 स्ट्राइक रेट से रन बनाए हैं। पृथ्वी शॉ मात्र 22 साल के है और वीरेंद्र सहवाग (Virender Sehwag) के मुकाबले अभी काफी कम मैच खेले हैं।

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3- जॉस बटलर (Jos Buttler)

ENG vs IND 3RD T20

इंग्लैंड क्रिकेट टीम के खिलाड़ी जॉस बटलर (Jos Buttler) भी वीरेंद्र सहवाग की शैली में ही बल्लेबाजी करते हैं। स्ट्राइक रेट के विषय में जॉस बटलर का स्ट्राइक रेट ज्यादा है। वनडे मैच में जोस बटलर का स्ट्राइक रेट 121.03 और टी20 में जॉस बटलर (Jos Buttler) का स्ट्राइक रेट 141 का रह चुका है।

जॉस बटलर (Jos Buttler) ने भले ही टेस्ट मैच में वीरेंद्र सहवाग से कम स्ट्राइक रेट बनाया हो, लेकिन बाकी सभी फॉर्मेट में बेहतरीन स्ट्राइक रेट से रन बनाए हैं।

4- लियाम लिविंग्स्टोन (Liam Livingstone)

LIAM LIVINGSTON

इंग्लैंड क्रिकेट टीम के विस्फोटक बल्लेबाज लियाम लिविंग्स्टोन (Liam Livingstone) भी वीरेंद्र सहवाग की तरह ही काफी विस्फोटक बल्लेबाज हैं। वनडे क्रिकेट फॉर्मेट में 142 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए हैं। साथ ही क्रिकेट के सबसे छोटे फॉर्मेट में लियाम लिविंग्स्टोन (Liam Livingstone) ने 154.75 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए हैं।

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टेस्ट क्रिकेट में अब तक ये 4 महान खिलाड़ी दो बार लगा चुके हैं तिहरे शतक, लिस्ट में भारतीय खिलाड़ी का नाम भी शामिल

टेस्ट क्रिकेट में अब तक ये 4 महान खिलाड़ी दो बार लगा चुके हैं तिहरे शतक, लिस्ट में भारतीय खिलाड़ी का नाम भी शामिल

क्रिकेट का सबसे पुराना और सम्मानिट प्रारूप टेस्ट क्रिकेट है. टेस्ट क्रिकेट में खेलने वाले खिलाड़ी को अपने धैर्य की परीक्षा देनी पड़ती है. किसी भी खिलाड़ी को अपनी टीम के लिए क्रीज़ पर लंबे समय तक टिक कर एक लंबी पारी खेलनी होती है. टेस्ट क्रिकेट खेलने के लिए खिलाड़ियों को मानसिक और शारीरिक रूप से मज़बूत होना चाहिए. हम आपको ऐसे चार दिग्गज खिलाड़ियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में तिहरे शतक लगाने का कारनामा किया है.

1. डॉन ब्रैडमैन

Donald Bradman

पूर्व दिग्गज ऑस्ट्रेलिआई क्रिकेटर डॉन ब्रैडमैन(DON BRADMAN) ऑस्ट्रेलिया के लिए क्रिकेट में कई कारनामें किए हैं. उनके इन कारनामों में दो तिहरे शतक शामिल हैं उन्होंने अपने करियर में खेलते हुए टेस्ट क्रिकेट में दो बार तिरहे शतक लगाए हैं.

2. ब्रायन लारा

Brian Lara

वेस्टइंडीज के पूर्व महान क्रिकेटर ब्रायन लारा (BRIAN LARA) को कौन नहीं जानता. उनके जैसा क्रिकेट जगत को जल्दी नहीं मिलता है. ब्रायन लारा ने नाम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे ज़्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड है.

उन्होंने अपने करियर में इंग्लैंड के खिलाफ 400 रनों की पारी खेलकर रिकॉर्ड कामय किया है. इतना ही नहीं एक बार और उन्होंने अपने करियर में 375 रनों की पारी खेली है.

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3. क्रिस गेल

Chris Gayle

वेस्टइंडीज के पूर्व बल्लेबाज़ क्रिस गेल(CHRIS GAYLE) अपनी ताबड़तोड़ बल्लेबाज़ी के लिए दुनियाभर में जाने जाते हैं. क्रिस गेल ने टेस्ट क्रिकेट में दो बार तिहरा शतक लगाया है. एक बार उन्होंने साउथ अफ्रीका और दूसरी बार श्रीलंका के खिलाफ तिहरा शतक लगाया था.

4. वीरेंद्र सहवाग

Virendra Sehwag

वीरेंद्र सहवाग(VIRENDRA SEHWAG) इंडिया टीम के दिग्गज ओपनर्स में से एक थे. उन्होंने इंडिया क्रिकेट को एक अलग ही पहचान दिलाई है. सहवाग एक ऐसे भारतीय क्रिकेटर थे, जो क्रिकेट के तीनो प्रारूपों में एक जैसा ही खेला करते थे.

वीरेंद्र सहवाग अपनी आक्रमक बल्लेबाज़ी के लिए जाने जाते थे. वीरेंद्र सहवाग ने टेस्ट क्रिकेट में दो बार तिहरा शतक लगया है. पहला तिहरा शतक उनके बल्ले से साल 2004 में पाकिस्तान के खिलाफ आया था और दूसरा साउथ अफ्रीका के खिलाफ आया था.

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