युवा Team India टीम ने हाल ही में फाइनल में इंग्लैंड को हराकर वेस्टइंडीज में हुए U19 World Cup का खिताब जीता था। Team India रिकॉर्ड 5वीं बार चैम्पियन बना था, हालांकि, टूर्नामेंट के लिए वेस्टइंडीज पहुंचने के साथ ही भारतीय टीम की परेशानी शुरू हो गई थी। इस U19 World Cup के लिए Team India के मैनेजर बनकर गए लॉबजांग तेन्जिंग ने इस बारे में खुल कर बात की है।
उन्होंने न्यूज एजेंसी पीटीआई से बातचीत में बताया कि कोरोना की वैक्सीन नहीं लगे होने की वजह से 7 भारतीय खिलाड़ियों को वेस्टइंडीज से लौटने के लिए कहा गया था। साथ ही कोरोना पॉजिटिव खिलाड़ी के इलाज की भी बेहतर व्यवस्था वहा नहीं थी।
मुश्किलों में फंसती गई भारतीय टीम
Team India के कई सहयोगी सदस्य भी कोरोना पॉजिटिव हो गये थे। भारत के कप्तान यश ढुल और उपकप्तान शेख रशीद के कोरोना पॉजिटिव होने से वह तीन में से दो लीग मैचों में नहीं खेल पाए थे। इसके अलावा सपोर्ट स्टाफ से जुड़े रविंद्रन पॉजिटिव हो गए थे, फिर टीम मैनेजर तेन्जिंग और लॉजिस्टिक्स मैनेजर भी संक्रमित हो गए थे।
लॉबजांग तेन्जिंग ने बताया कि वेस्टइंडीज का इंतजाम अच्छा नही था और बायो बबल काफी कमज़ोर था। उन्होंने कहा,
“टीम के सहयोगी दल के सदस्य शायद दुबई में एशिया कप के दौरान वायरस की चपेट में आ गये थे और फिर उनसे खिलाड़ी भी इस महामारी के चपेट में आ गये। वेस्टइंडीज इस तरह की बड़ी मेजबानी के लिए तैयार नहीं था और टूर्नामेंट का बायो-बबल काफी कमजोर था।”
लॉबजांग तेन्जिंग ने आगे कहा,
“इससे अतिरिक्त लॉजिस्टिक मदद की जरूरत थी लेकिन वेस्टइंडीज में टूर्नामेंट आयोजन से जुड़े स्थानीय लोग काफी सुस्त थे। भारतीय टीम ने अपने नॉकआउट मुकाबले एंटीगा में खेले और यहीं उन्हें सबसे आरामदायक रहने की जगह मिली। गयाना में क्वारंटीन रहने के दौरान काफी दिक्कतें झेलनी पड़ीं। गयाना में हमें काफी मुश्किल परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। तब मैं और हमारे साथी कोविड-19 की चपेट में थे तब वहां हमारी मदद के लिए कोई चिकित्सक या डॉक्टर मौजूद नहीं था। हमें दवा भी उपलब्ध नहीं कराई जा रही थी। यह पूरी प्रणाली की विफलता थी। ऐसे में टीम के फिजियो ने हमारी मदद की।”
उन्होंने आगे बताया,
“हमारे होटल में खिलाड़ी और दूसरे मेहमान एक ही मंजिल पर रहते थे। आइसोलेशन के दौरान देखभाल के लिए कोई मौजूद नहीं था। कमरे में हर समय पानी की उपलब्धता नहीं थी और मन लायक खाना भी नहीं मिल रहा था। हमारी किस्मत अच्छी थी कि वहां पास में कुछ भारतीय रेस्टोरेंट थे, जिसने हमारी मदद की। अभ्यास मैचों के दौरान भी स्टेडियम के वॉशरूम में पानी की उपलब्धता नहीं थी। मैं यह बात कह सकता हूं कि बायो बबल में बीसीसीआई और स्टेट एसोसिएशन ने इससे बेहतर काम किया था।”