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Mustard Oil: खुशखबरी! सरसों का तेल हुआ उम्मीद से ज्यादा सस्ता, दाम में आई भारी गिरावट, जानें नई कीमत

सरसों का तेल

Mustard Oil:आप लोग अच्छी तरीके से जानते हैं कि महंगाई आसमान छू रही है महंगाई के कारण आम आदमी के जेब का बजट गड़बड़ाने लगा है। देशभर में कोरोना वायरस के कहर के साथ-साथ महंगाई लोगों की कमर तोड़ रही है। महंगाई की वजह से हर इंसान परेशान हो चुका है। पेट्रोल-डीजल की कीमत के साथ खाद्य पदार्थों की कीमत में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। खाद्य सामग्री में महंगाई की वजह से आर्थिक स्थिति डगमगाने लगी है, लेकिन एक राहत भरी खबर सामने आई है।

अब खाने के तेलों के दाम में थोड़ी नरमी देखने को जरूर मिली है, जिससे आम लोगों की जेब का बजट बिगड़ गया है। सरसों के तेल (Mustard Oil) में थोड़ी गिरावट आई है, अगर आप सरसों का तेल खरीदना चाहते हैं, तो आपके लिए खुशखबरी है कि क्योंकि सरसों का तेल हमारी खाद्य सामग्री में बहुत महत्वपूर्ण चीज है।

160 -170 रुपए प्रति किलो Mustard Oil

सरसों का तेल

महंगाई की वजह से हमें सबको काफी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है डीजल पेट्रोल तो महंगा हुआ ही है इसके साथ खाद्य सामग्री तो आसमान छू रही है लेकिन कुछ राहत की खबर सामने आई है। इस बीच अगर आप सरसों तेल के खरीदार हैं, तो यह खबर आपके बड़े ही काम की है। सरसों तेल की कीमत में कुछ गिरावट दर्ज की गई।

नई कीमत के अनुसार सरसों का तेल (Mustard Oil) 160-170 रुपये प्रति किलो के बीच बेचा जा रहा है। यह एक राहत की खबर है।ग्राहकों के पास खरीदारी करने का यह अच्छा मौका है। अब जल्दी कीजिए देर मत कीजिए अब आप सरसों का तेल खरीद लीजिए ।

सरसों तेल (Mustard Oil) के दाम 30- 40 रुपए हुए कम

सरसों का तेल

अन्य तेल तिलहन में ज्यादा गिरावट दर्ज नहीं की गई है उसके रेट वही है जो पहले थे सरसों का तेल सस्ता हुआ है। सामान्य कारोबार के बीच सोयाबीन तेल, सीपीओ, पामोलीन सहित बाकी सभी तेल-तिलहनों के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए। उच्चतम स्तर से सरसों (Mustard Oil) की कीमत करीब 30-40 रुपये कम है। इससे आम आदमी को काफी राहत मिलेगी सरसों तेल के भाव भी आसमान छू रहे थे।

बाजार सूत्रों ने कहा कि महाराष्ट्र के धुरिया में प्लांट वाले सोयाबीन दाना 6,625-6,650 रुपये क्विन्टल की कीमत पर खरीद रहे हैं। इससे सोयाबीन दाना एवं लूज के भाव में सुधार आया। खाद्य सामग्री में हम सबके लिए तेल बहुत आवश्यकता की सामग्री है, इसके भाव भी काफी तेज थे, जिसके कारण हर इंसान को दिक्कत होती थी हो सकता है कि सरसों के तेल में आगे भी चलकर गिरावट देखी जाए क्योंकि इस साल सरसा की पैदावार अच्छी हुई है।

मिल वालों को उठाना पड़ता है भारी नुकसान

सरसों का तेल

सोयाबीन के कारोबारियों को काफी दिक्कत झेलनी पड़ती है उनका कहना है कि मिल वालों का सोयाबीन का कारोबार बेपड़ता बैठता है।मिल वालों को सोयाबीन का कारोबार बेपड़ता बैठता है और बाजार में भाव पेराई की लागत से कहीं सस्ता होने से मिलों को पेराई के बाद तेल सस्ते में बेचने को बाध्य होना पड़ता है, जिससे मिल वालों को काफी नुकसान जिला पड़ता है। यानी मिल वालों, संयंत्रों, आयातकों सभी को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसके चलते यह बात काफी ध्यान देने वाली है इससे काफी नुकसान हो रहा है इस बात को लेकर ध्यान दिया जाना चाहिए।

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सरकार को देना होगा ध्यान

सरसों का तेल

इन सबके लिए सरकार को ही अब ध्यान देना होगा अगर सरकार इस पर जरा सा ध्यान दे दे तो सब ठीक हो जाएगा। सूत्रों के मुताबिक कि सरकार को इस ओर ध्यान देना होगा कि अपनी खाद्य तेल जरुरतों के लिए 65 प्रतिशत आयात पर निर्भर देश के व्यापारियों और आयातकों को बेपड़ता भाव पर तेलों की बिक्री क्यों करनी पड़ रही है। उन्होंने लागत से कम भाव पर बिक्री करने की बाध्यता पर गौर करने का सरकार से अनुरोध किया और सरकार को इस बात को लेकर संज्ञान लेना चाहिए इससे मिल वालों को काफी नुकसान झेलना पड़ता है आयातकों को भी ।

– मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 1,840

– 1,965 रुपये प्रति टिन।

– सरसों तेल (Mustard Oil) दादरी- 16,600 रुपये प्रति क्विंटल।

– सरसों पक्की घानी

– 2,265 -2,590 रुपये प्रति टिन।

– सरसों कच्ची घानी- 2,645 – 2,755 रुपये प्रति टिन।

– तिल तेल मिल डिलिवरी – 16,700 – 18,200

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MUSTARD OIL PRICE: सरसों तेल की कीमत में आई अब तक की सबसे बड़ी गिरावट, जानिए क्या हैं नये भाव

Mustard Oil Price

सरसों तेल की कीमत: सोना चांदी हो या घर के खाद्य पदार्थ लगातार इनके दामों में गिरावट आ रही है इसी बीच कोरोना के चलते आम आदमी को बड़ी राहत मिल रही है। आपको बता दें सरसों के तेल के दामों में 20 से ₹25 की गिरावट आई है जो तेल अभी तक 200 के दामों में बिक रहा था वही अब 170 के दामों में बिक रहा है। चुनाव के दौर में सभी चीज़ों के दामों में उतार चढ़ाव लगा हुआ है। सरकार भी जनता को लगातार राहत देने के नए-नए काम करने में लगी है।

सरसों तेल में आई अब तक की सबसे बड़ी गिरावट

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 बाजारों में मौजूदा समय में प्रति लीटर सरसों तेल की कीमत 175 रुपये से लेकर 200 रुपये तक है। इसमें पी-मार्का, म्यूर, पतंजलि, इंजन व अन्य शामिल हैं। पहले 200-225 रुपये प्रति लीटर बिक रहा था। धनबाद के तेल-तिलहन बाजारों में सरसों तेल के साथ लगभग हर प्रकार के खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है।

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धनबाद, बोकारो, गिरिडीह, जामताड़ा और झारखंड के अन्य जिलों में दुकानदारों के पास दाम कम होने से पहले के प्रिंट रेट का कोटा उपलब्ध है। ऐसे में कई दुकानदार फायदा उठाने के चक्कर में उसी दाम पर बेचकर लोगों को चूना लगाने की कोशिश में लगे हैं। सरसों तेल के दाम पिछले दिनों एकाएक बढ़ गए। इससे गृहणियों का बजट बिगड़ गया था।

रिफाइंड तेल हुए महंगे

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रसाई चलाने की चिंता भी बढ़ने लगी थी। कई ग्राहकों ने बाजारों से तेल को लेना ही बंद कर दिया था। ज्यादातर खाने में सरसों का तेल प्रयोग किया जाता है। इसके दाम में आई कमी से आम लोगों को बड़ी राहत मिली है। सरसों का तेल कुछ दिनों पहले 190-220 रुपये लीटर बिक रहा था, उसकी कीमतों में बदलाव हुआ है। सरसों तेल की कीमत 175 से लेकर 180 रुपये के करीब बिक रहा है।

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रिफाइंड तेल कीमत में भी बढ़ोतरी हुई थी, जो 150 रुपये प्रति लीटर बेचा जा रहा है। वहीं, पेट्रोल और डीजल के दामों में आई कमी का असर अब अन्य खाद्य वस्तुओं पर भी दिखने लगा है। साथ ही बता दे अलग अलग रिफाइंड ऑयल कई रेट में उपलब्ध है।

Mustard Oil Price: सरसों तेल की कीमतों में आई भारी गिरावट, 10 प्रतिशत गिरे दाम, जानिए क्या है नई कीमत

सरसों का तेल

सरसों तेल की कीमत: देशभर में खाद्य तेलों की खुदरा कीमतें बाजार के में एक साल पहले की तुलना में ऊंची हैं, लेकिन अक्टूबर 2021 के बाद से इनमें गिरावट काफ़ी हुई है। 167 रुपए देशभर के प्रमुख खुदरा बाजारों में खाद्य तेलों की खुदरा कीमतों में 5-20 रुपये प्रति किलोग्राम की भारी गिरावट आई है।

सरसों तेल की कीमत में आई भारी गिरावट

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आंकड़ों के मुताबिक, मंगलवार को मूंगफली तेल का अखिल भारतीय औसत खुदरा मूल्य 180 रुपये प्रति किलो, सरसों तेल का भाव 184.59 रुपये प्रति किलो, सोया तेल का 148.85 रुपये प्रति किलो, सूरजमुखी तेल का 162.4 रुपये प्रति किलो और पाम तेल का 128.5 रुपये प्रति किलो था।

आंकड़ो से लगता है कि एक अक्टूबर, 2021 को प्रचलित कीमतों की तुलना में, मूंगफली और सरसों के तेल की खुदरा कीमतों में 1.50-3 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट आई है, जबकि सोया और सूरजमुखी के तेल की कीमतें अब 7-8 रुपये प्रति किलोग्राम नीचे आ चुकी हैं।

ये है सरसों तेल की नई कीमत

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आपको बता दे कि अडाणी विल्मर और रुचि इंडस्ट्रीज समेत प्रमुख खाद्य तेल कंपनियों ने कीमतों में 15-20 रुपये प्रति लीटर की कटौती की है। साथ ही जिन कंपनियों ने खाद्य तेलों की कीमतों में कमी की है उनके नाम है जेमिनी एडिबल्स एंड फैट्स इंडिया, हैदराबाद, मोदी नैचुरल्स, दिल्ली, गोकुल री-फॉयन एंड सॉल्वेंट, विजय सॉल्वेक्स, गोकुल एग्रो रिसोर्सेज और एन के प्रोटीन्स।

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एक्सपर्ट की माने तो,

”अंतरराष्ट्रीय जिंस की कीमतें अधिक होने के बावजूद केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों की सक्रिय भागीदारी में साथ हस्तक्षेप से खाद्य तेलों की कीमतों में कमी आई है। खाद्य तेल की कीमतें एक साल पहले की अवधि की तुलना में अधिक हैं लेकिन अक्टूबर से ये नीचे आ रही हैं।”

आपको बता दे कि आयात शुल्क में कमी और जमाखोरी पर अंकुश को स्टॉक की सीमा लगाने जैसे अन्य कदमों से सभी खाद्य तेलों की घरेलू कीमतों को कम करने में मदद मिली है और उपभोक्ताओं को राहत मिली है। खाद्य तेलों के आयात पर भारी निर्भरता के कारण घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्रयास करना महत्वपूर्ण है।

भारत में होता है सरसों तेल का सबसे अधिक उत्पादन

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भारत खाद्य तेलों के सबसे बड़े आयातकों में से एक है क्योंकि इसका घरेलू उत्पादन इसकी घरेलू मांग को पूरा करने में असमर्थ है। इसीलिए भारत में लगातार खाद्य तेलों के दामों में गिरावट आ रही है। देश में खाद्य तेलों की खपत का लगभग 56-60 प्रतिशत आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है। मंत्रालय ने कहा कि वैश्विक उत्पादन में कमी और निर्यातक देशों द्वारा निर्यात कर/लेवी में वृद्धि के कारण खाद्य तेलों की अंतरराष्ट्रीय कीमतें दबाव में हैं। इसलिए खाद्य तेलों की घरेलू कीमतें आयातित तेलों की कीमतों से तय होती हैं।

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MUSTARD OIL PRICE: 30 रूपये सस्ता हुआ सरसों तेल, अब मात्र इतने में मिल रहा है 1 लीटर

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सरसों तेल की कीमत: देश में कई राज्यों में चुनाव का दौर चल रहा है, जिसके चलते आम आदमी की जरूरतों का कुछ ज्यादा ही ख्याल रखा जाने लगा है। अगर आपकी जेब में भी कोरोना काल के चलते काफी असर पड़ा है तो इस खबर से आपको थोड़ा तो आराम मिल ही जाएगा। पेट्रोल डीजल व अन्य खाद्य पदार्थ के साथ ही घर में उपयोग आने वाली ऐसी कई सामग्री जिनके दाम अभी तक आसमान पर छू रहे थे। लेकिन इसी बीच सरकार ने कुछ राहत सी दी है, जिसमे सरसो के तेल में से 25 रुपए तक की गिरावट आई है।

सरकार ने दी सरसों तेल की कीमत में राहत

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इस दौरान कुछ दुकानदार ऐसे भी हैं, जिनके पास तेल के दाम सस्ते होने के पहले का माल होने पर वह अभी भी  प्रिंट रेट पर देकर ही आम आदमी को पागल बना रहे हैं। पिछले कई दिनों से सरसो तेल के दाम काफी बढ़ गए थे, जिससे घरों का बजट अचानक खराब हो गया था। लेकिन सरकार ने उन सभी ग्रहणियों को एक अच्छी सौगात है।

दाल,चीनी और चावल के साथ तेलो के दाम में भी गिरावट आना शुरू हो गई है। जिसके तहत बाजारों में सरसो के तेल की कीमत अब 175 से 200 रुपए तक है। जिसमें पतंजलि,मयूर,इंजन व तेल के ब्रांड शामिल है। वहीं पहले यह तेल 200 से 225 रुपए प्रति लीटर बिक रहा था।

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दाम बढ़ने से बिक्री घटी

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हालाकि अचानक सरसों के दाम में बढ़ोतरी होने के चलते लोगों ने ब्रांडेड सरसों तेल खरीदना बंद कर दिया था और उन्होंने कच्चा तेल जो कहीं से भी सस्ते दम में मिल सके उनको लेना शुरू कर दिया था लेकिन उन में बहुत से केमिकल मिलने के भी साक्ष्य सामने आए थे। 

साथ ही रिफाइंड ऑयल में भी 150 रुपए तक की बढ़ोतरी हुई थी। लेकिन उसके अलग अलग ब्रांड ने अपने अलग रेट तय  किए है जो कि प्रिंट रेट में बाज़ार में उपलब्ध हैं। आपको बता दें बाजार में रिफाइंड आयल और भी कई प्रकार के उपलब्ध है जिसमें सोयाबीन रिफाइंड ऑयल के दामों में काफी बढ़ोतरी हुई और सबसे महंगा रिफाइंड ऑयल सनफ्लावर का बताया गया है।

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शादी का सीजन खत्म होने से बढ़ी डिमांड कम होने और मंडी अधिनियम वापस लिए जाने का सीधा प्रभाव खाद्य तेलों पर नजर आ रहा है। मनमाना स्टाक न रख पाने की वजह से लगातार तेजी से बढ़ रहा सरसों का तेल ठंडा होने लगा है। अभी तक 180 रुपये लीटर बिक रहा सरसों पर बिक रहा फारच्यून ब्रांड रिफाइंड 138 से 140 रुपये लीटर हो गया है।

इस पर व्यापारियों का कहना है कि सहालग खत्म होने से इसके रेट कर हो गए है। यही नहीं मंडी कानून की बहाली से माल स्टॉक करने की सीमा तय कर दी गई है। यही नहीं तीन माह में सरसों की नई फसल की आमद भी शुरू होने वाली है। इसी के चलते सरसाें के तेल की कीमतों में कमी आने लगी है।

फुटकर मंडी में सरसों तेल की कीमत

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खाद्य तेल-कीमत रुपये प्रति लीटर- पहले- अब
बैल कोल्हू- 180 – 165 से 170
रिफाइंड ऑयल फॉरच्यून-145 से 148 -138 से 140

दाम कई वजह से गिरे हैं। एक तो सहालग खत्म होने से खपत में कमी आई है। दूसरे पुराने मंडी कानून की बहाली और नई फसल जल्द आने की उम्मीद में तेल की कीमतें घटना शुरू हो गई हैं। धीरे-धीरे इसकी और कम होंगी।

सभी प्रकार के खाद्य तेलों में कमी है। लगातार कमी देखने को मिल रही हैं। रिफाइंड हो या फिर बैल कोल्हू सरसों का तेल अब इन सभी की कीमतों में कमी आना शुरू हो गई है। नई सरसों भी जल्द निकलने वाली है। इस का असर बाजार पर है।

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इस समय बढ़ती महंगाई ने आम आदमी की दिक्कतों में और भी अधिक इजाफा कर दिया है. इसको ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने त्यौहार के समय पर आम लोगों को राहत देने के लिये एक बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने पाम और सन फ्लॉवर ऑयल (Sunflower Oil) पर एग्री सेस (Agri Cess) और कस्टम ड्यूटी (Custom Duty) को कम कर दिया है. इससे पहले उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय (Ministry of Consumer Affairs, Food and Public Distribution) ने तेल और तिलहन पर स्टॉक लिमिट लागू करने का आदेश पारित किया था. अब ये स्टॉक लिमिट 31 मार्च 2022 तक लागू रहने वाली है. राज्यों को इसमें कहा गया है कि आदेश जारी कर इसका सख्ती से पालन किया जाए.

आयात शुल्क में की गयी इतने रुपये की कटौती

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सरकार ने जो ये फैसला लिया इसके मुताबिक क्रूड पाम तेल पर ड्यूटी को घटा दिया गया और 8.25% (पहले 24.75%) , RBD पामोलीन पर 19.25 (पहले 35.75), RBD पाम तेल पर 19.25 (पहले 35.75), क्रूड सोया तेल पर 5.5 (पहले 24.75), रिफाइंड सोया तेल पर 19.5 (पहले 35.75), क्रूड सूरजमुखी तेल पर 5.5 (पहले 24.75) और रिफाइंड सूरजमुखी तेल पर 19.25 (पहले 35.75) कर दी गयी. ड्यूटी घटाए जाने पर CPO के भाव में 14,114.27, RBD के 14526.45, सोया तेल के 19351.95 रुपए प्रति टन घटे है. सरकार के इस फैसले के बाद खाद्य तेलों में 15 रुपये की नमी देखी गयी.

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इस दिन से लागू होगा ये फैसलाUntitled 20

एक अधिसूचना जारी करते हुए केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने कहा कि शुल्क में कटौती 14 अक्टूबर से प्रभावी होगी और 31 मार्च, 2022 तक लागू रहने वाले हैं.

बीते माह भी हो चुकी है आयात शुल्क में कमी

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मालूम हो कि, बीते माह 11 सितंबर को भी पाम तेल, सोया तेल और सूरजमुखी तेल पर सीमा शुल्क में कमी की गई थी. तो वहीं कच्चे पाम तेल पर मूल इंपोर्ट ड्यूटी (Import Duty) को 10 % से घटाकर 2.5 % किया गया है. तो वहीं कच्चे सोया तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर भी आयात शुल्क 7.5 % से घटाकर 2.5 % कर दिया गया है.

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