क्रिकेट एक खेल हैं जिसे फैंस काफी पसंद करते है उससे अपना मनोरंजन करते है। खिलाड़ी जर्सी पहनकर अपने देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। लेकिन ऐसे भी खिलाड़ी हुए हैं, जिनके करियर खत्म जिनका दोष पॉलिटिक्स या बोर्ड पर लगाया जाता है। भारतीय गोल्ड मेडलिस्ट खिलाड़ी मैरी कॉम पर आधारित फिल्म में दिखाया भी गया है कि किस तरह पॉलिटिक्स और बोर्ड खिलाड़ियों के करियर को बर्बाद भी कर सकते हैं। लेकिन इस हर मामले भी नहीं कहा जा सकता है। कभी कभी खिलाड़ी की अपनी गलती भी हो सकती है। आज हम आपको ऐसे ही खिलाड़ियों के विषय बताने जा रहें हैं। जिसके करियर के खतम होने के पीछे की वजह पॉलिटिक्स या बोर्ड को बताया जाता है।
बासित अली ( Basit Ali )
पाकिस्तान के खिलाड़ी बासित अली ( Basit Ali ) को वेस्टइंडीज के खिलाफ मैच खेलने का मौका मिला। जिसमें खिलाड़ी में अच्छा प्रदर्शन भी किया। लेकिन 1995-96 के विश्वकप के समय ये बात समाने आई कि उन्होंने जावेद मियांदाद के लिए वर्ल्ड कप में रास्ता बनाया था जो विश्व कप के दौरान सबसे अच्छे प्रदर्शन का रिकॉर्ड बनाना चाहते थे। जिसके बाद पाकिस्तानी क्रिकेट बोर्ड ने उन्हे मौका नहीं दिया। वहीं से उनके कैरियर का अंत हो गया।
अंबाती रायुडू ( Ambati Rayudu)
भारतीय क्रिकेट टीम में अंबाती रायुडू को जब मौका मिलने के आसार खतम हो गए तब उन्होंने अंत में संन्यास ले लिया। अंबाती रायुडू 2000 के समय एक युवा मजबूत खिलाड़ी बनकर समाने आए थे। 2015 के बाद विश्व कप टीम में जब इस सलामी बल्लेबाज ने सलामी पोजिशन के अलावा नंबर चार जिसको टीम को जरूरत थी। उसकी तैयारी भी कर ली थी। लेकिन उनकी जगह विजय शंकर को वरीयता मिली थी। हालांकि इसके बाद चीफ सेलेक्टर एमएसके प्रसाद को ट्विटर पर खिलाड़ी को ना चुने जाने के बाद जमकर आलोचना की थी। जिसके बाद खिलाड़ी में इंटरनेशनल क्रिकेट से सन्यास ले लिया था। हालांकि आईपीएल में इस खिलाड़ी ने अपने प्रदर्शन से अपना नाम कमा रखा है।
साइमन कैटिच ( Simon Katich)
साइमन कैटिच ( Simon Katich) को ऑस्ट्रेलिया की एशेज सीरीज में खेलने का मौका मिला था। जिसके बाद खिलाड़ी में अच्छा प्रदर्शन भी किया था। लेकिन 2010 में इंजरी के चलते उन्हें टीम से बाहर होना पड़ा, लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि 2009 में जब साइमन कैटिच की कप्तान माइकल क्लार्क के साथ बहस के बाद उन्हे प्लेइंग इलेवन से बाहर रखा जाने लगा। जिसके बाद घरेलू सीरीज में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद भी उन्हें नेशनल टीम में वापसी नहीं मिली। जिसके बाद सेलेक्टर के साथ बहस के बाद उन्होंने सन्यास का ऐलान कर दिया।
एंडी फ्लावर और हेनरी ओलंगा (Andy Flower & Henry Olonga)
जिम्बाबे क्रिकेट के लिए 2003 विश्व कप का समय काफी बहुत महत्वपूर्ण था। उस समय जिम्बाब्वे के तानाशाह रोबर्ट मोगाबे ने नस्लभेद कोटा प्रणाली बनाई थी। जिसके तरह टीम में सिर्फ ब्लैक क्रिकेटर्स खेल सकते थे। जिसके बाद एंडी फ्लावर में आवाज उठाई थी। लेकिन तानाशाह की नीति के चलाते ही उन्हें सन्यास लेना पड़ा था। साथ ही हेनरी ओलंगा के विरोध के बाद वारंट निकल गया था। जिसके बाद खिलाड़ी इंग्लैंड चले गए और वहां की नागरिकता अपना ली। जिसके बाद उनके भी करियर का अंत हो गया।
केविन पीटरसन ( Kevin Pietersen)
साउथ अफ्रीका के तेज तर्रार खिलाड़ी केविन पीटरसन ( Kevin Pietersen) काफी विवादित खिलाड़ी रहे है। एक समय जब इंग्लैंड बोर्ड आईपीएल को अपनाने के पक्ष में नहीं था। लेकिन केविन पीटरसन ( Kevin Pietersen) ने ईसीबी के फैसले को गलत ठहराया। जिसके बाद 2012 में जब एक बेहतरीन पारी खेलने के बाद मैसेज करने के दोषी पाए गए। खिलाड़ी में तर्क दिया कि जिनको उन्होंने मैसेज किया वो दोस्त थे। लेकिन मैनेजमेंट में उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया। जिसके बाद भारत के खिलाफ उन्हें मौका मिला। जिसमें उन्होंने अच्छा प्रदर्शन भी किया, लेकिन उकसे बाद उन्हें ज्यादा मौके नही दिए गए।