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Mustard oil rates: चुनाव से ठीक पहले उम्मीद से ज्यादा सस्ता हुआ सरसों तेल, जानिए क्या है नई कीमत

Mustard oil rates: साल भर से देश में महंगाई आसमान छू रही है महंगाई से हर आदमी परेशान होता नजर आ रहा है। मंगलवार को केंद्र सरकार ने देश का वित्तीय बजट तैयार करके पेश कर दिया है। अबकी बार जब बजट तैयार किया गया तब थोड़ी महंगाई को काबू करने की कोशिश की गई हालांकि मध्यम वर्ग के सेक्स में कोई राहत नहीं मिली। लेकिन कॉरपोरेट सेक्टर को टैक्स में 4 फीसदी की कमी कर दी। अबकी बार जब बजट तैयार किया गया है तो महंगाई को देखते हुए थोड़ी राहत बनाई गई है। कुछ चीजों में गिरावट दर्ज की गई है।

सरसों के तेल में दर्ज की गई गिरावट

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कोरोनावायरस की वजह से महंगाई ने आसमान छू रखा है महंगाई की वजह से हर इंसान परेशान हो चुका है। पेट्रोल-डीजल,रसोई गैस के साथ-साथ खाद्य पदार्थों में बहुत ज्यादा महंगाई देखी जा रही थी। इस महंगाई से आम लोगों की जेब का बजट ढीला होता नजर आ रहा था हर इंसान परेशान हो चुका है। अब थोड़ी सी राहत की खबर मिली है सरसों तेल के दामों में गिरावट दर्ज की गई है सरसों का तेल भी काफी महंगा था, जिसके कारण आदमी परेशान था लेकिन अब बजट में सरसों के तेल के दामों में गिरावट आई है।

अन्य तेल तिलहनो मे कोई भी गिरावट दर्ज नहीं की गई है । सामान्य कारोबार के बीच सोयाबीन तेल, सीपीओ, पामोलीन सहित बाकी सभी तेल-तिलहनों के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए। फिर सरसों के तेल में गिरावट दर्ज की गई है उच्चतम स्तर से सरसों की कीमत करीब 30-40 रुपये कम है। सरसों तेल के दाम आसमान छू रहे थे। लेकिन अब थोड़ी राहत देखने को मिली है।

बाजार सूत्रों ने कहा कि महाराष्ट्र के धुरिया में प्लांट वाले सोयाबीन दाना 6,625-6,650 रुपये क्विन्टल की कीमत पर खरीद रहे हैं। जिसके कारण सोयाबीन और लूज के दामों में थोड़ा सुधार आया है। सरसों के तेल के दामों में ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है।

मिल वालों को बैठता है बेपड़ता

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सोयाबीन के दामो में गिरावट दर्ज होने से मिल बालों को भारी नुकसान झेलना पड़ता है। मिल वालों को सोयाबीन का कारोबार बेपड़ता बैठता है और बाजार में भाव पेराई की लागत से कहीं सस्ता होने से मिलों को पेराई के बाद तेल सस्ते में बेचने को बाध्य होना पड़ता है और इन्हें काफी नुकसान झेलना पड़ता है। यानी मिल वालों, संयंत्रों, आयातकों सभी को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। सोयाबीन के दामों में गिरावट होने से मिल वालों को नुकसान झेलना पड़ता है इसके लिए सरकार को ध्यान देना ही चाहिए।

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सरकार को देना होगा ध्यान

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इसके लिए सरकार को ध्यान देना चाहिए। कि अपनी खाद्य तेल जरुरतों के लिए 65 प्रतिशत आयात पर निर्भर देश के व्यापारियों और आयातकों को बेपड़ता भाव पर तेलों की बिक्री क्यों करनी पड़ रही है। आखिर ऐसा क्यों करना पड़ रहा है इससे मिल वालों को भारी नुकसान झेलना पड़ता है। कम लागत पर बिक्री करने की बाध्यता पर सरकार को काफी ध्यान देना होगा नहीं तो मिल वालों को ऐसे ही नुकसान झेलना पड़ेगा।

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– मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 1,840

– 1,965 रुपये प्रति टिन।

– दादरी सरसों तेल – 16,600 रुपये प्रति क्विंटल।

– सरसों पक्की घानी

– 2,265 -2,590 रुपये प्रति टिन।

– सरसों कच्ची घानी- 2,645 – 2,755 रुपये प्रति टिन।

– तिल तेल मिल डिलिवरी – 16,700 – 18,200

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