प्रत्येक क्रिकेटर का एक सपना होता है, कि वह राष्ट्रीय स्तर पर अपनी टीम का प्रतिनिधित्व (Captancy) कर सके। ऐसी स्थिति में किसी खिलाड़ी को डेब्यू मैच में ही कप्तानी करने का मौका मिल सके, तो उसके लिए सोने पर सुहागा साबित होता है। आज इस आर्टिकल के जरिए हम भारत के ऐसे ही 5 खिलाड़ियों के बारे में बात करेंगे, जिन्हें पहले ही मैच के दौरान अपनी टीम में कप्तानी करने का सौभाग्य मिल सका। आइए जानते हैं उन पांच सौभाग्यशाली खिलाड़ियों के बारे में।
सीके नायडू
भारतीय टीम द्वारा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की शुरुआत 1932 में इंग्लैंड के विरुद्ध टेस्ट खेलकर की गई थी, जिसमें चंद्रबाबू नायडू को कप्तानी करने का मौका मिल सका था। अपने करियर के दौरान नायडू चार टेस्ट मैचों में भारत की कप्तानी करने में कामयाब रहे, जिनमें भारत को तीन मैचों में हार का सामना करना पड़ा और एक टेस्ट मैच ड्रा हो गया।
महाराज कुमार ऑफ विजयनगरम
अपने डेब्यू मैच के दौरान कप्तानी का मौका मिलने वाले नायडू के बाद महाराज कुमार ऑफ विजयनगरम दूसरे खिलाड़ी थे। इंग्लैंड के विरुद्ध वर्ष 1936 में खेली गई टेस्ट सीरीज के दौरान उन्हें कप्तानी का मौका मिल सका।
इफ्तिखार अली खान पटौदी
वर्ष1946 में इंग्लैंड दौरे पर दाएं हाथ के पूर्व महान बल्लेबाज इफ्तिखार अली खान पटौदी को डेब्यू का मौका मिल सका था। इस टेस्ट के दौरान पटौदी को टीम की कप्तानी करने का भी मौका मिला था। बतौर कप्तान इफ्तिखार पटौदी एक टेस्ट हारे, जबकि दो टेस्ट ड्रा रहे।
अजित वाडेकर
भारतीय टीम द्वारा 1932 में टेस्ट डेब्यू किया गया था। वर्ष 1974 में पहला वनडे खेला गया था। दिग्गज अजीत वाडेकर को इस मैच के दौरान टीम का कप्तान बनाया गया था। इसके चलते वह भारत के पहले वनडे कप्तान बने थे। वाडेकर की कप्तानी के दौरान दोनों वनडे में भारतीय टीम को हार का सामना करना पड़ा था।
वीरेंद्र सहवाग
भारतीय टीम के बहुत ही कम फैंस इस बात को जानते होंगे, कि भारत के पहले कप्तान अंतरराष्ट्रीय टी20 में वीरेंद्र सहवाग थे। वर्ष 2006 में साउथ अफ्रीका की सरजमीं पर भारतीय टीम द्वारा पहला टी20 खेला गया था। इस मैच के दौरान सहवाग द्वारा बतौर कप्तान टीम इंडिया को जीत दिलाई गई। हालांकि इस मैच के बाद वीरेंद्र सहवाग को दोबारा टी20 में भारत की कप्तानी करने का मौका नहीं मिल सका।