Vaibhav Suryavanshi: भारतीय टीम से खेलने का सपना हर खिलाड़ी बुनता है. एक बार टीम इंडिया में डेब्यू होने के बाद किस्मत हमेशा के लिए बदल भी जाता है. भारतीय क्रिकेट के इतिहास में अब कई ऐसे खिलाड़ी भी हुए जो गरीबी से लड़कर भारत के लिए खेलते हुए अपनी किस्मत चमका चुके है. कुछ खिलाड़ी का सपना लेट से पूरा होता है तो कुछ ऐसे खिलाड़ी है जो कम उम्र में ही छा गए. वही कुछ ऐसे खिलाड़ी जिनकी डेब्यू के लिए 30 साल हुए जैसे भारतीय टीम के टी20 कप्तान सूर्यकुमार यादव. अब हम आज उस खिलाड़ी के बारे में बात करेंगे जो 14 साल की उम्र में ही सफलता उनके कदम चूमने लगे है.
3 साल की उम्र में Vaibhav Suryavanshi को थमाया बल्ला
वैभव सूर्यवंशी (Vaibhav Suryavanshi) 14 साल की उम्र में ऐसे बड़े-बड़े कारनामे करने लगे है जैसा कोई सपना हो. उन्होंने आईपीएल 2025 में खूंखार गेंदबाज के सामने महज 38 गेंदों में 101 रन बनाए थे. जिसके बाद से ही वह चर्चा का विषय बने हुए है इससे पहले अंडर 19 में भी भारतीय टीम के लिए जबरदस्त बल्लेबाजी की है. लेकिन वैभव सूर्यवंशी का सफल होना इतना आसान भी नहीं था. बिहार के रहने वाले इस 14 वर्षीय बल्लेबाज का सफल होना उनके पिता का भी हाथ रहा.
बिहार के समस्तीपुर जिले के छोटे से गांव मोतीपुर में रहने वाले पिता संजीव सूर्यवंशी ने अपने बेटे वैभव (Vaibhav Suryavanshi) की प्रतिभा को बहुत जल्दी पहचान लिया था. और उन्होंने ठान लिया उसका सपना पूरा करना है. जब वैभव सिर्फ 3 साल के थे, तब उनके हाथ में बल्ला थमाकर उन्हों ने एक सपने की नींव डाली. यह सपना सिर्फ बेटे का नहीं था, बल्कि उस पिता का भी था जिसने अपने बच्चे के लिए अपने सारे सपने पीछे छोड़ दिए.
सपना ना टूटे पिता ने बेच दी ज़मीन
Vaibhav Suryavanshi की मेहनत और पिता के लगन ने सब कुछ बदल दिया. जब वैभव 5 साल के हुए, तब पिता संजीव ने उन्हें रोज नजदीक मैदान ले जाकर अभ्यास कराना शुरू किया. कड़ाके की सर्दी हो, चिलचिलाती धूप या बरसात, कुछ भी उस पिता को नहीं रोक सका. उनका एक ही मकसद था ,बेटा मेहनत से पीछे न हटे और वैसा ही वैभव ने किया. पिता का सहयोग मिलता गया, वैभव आगे बढ़ता गया. जब वैभव 7 साल के हुए, तो संजीव ने उन्हें रोज 8 किलोमीटर दूर समस्तीपुर शहर ले जाकर ट्रेनिंग शुरू कराई.
बिहार के समस्तीपुर जिले के मोतीपुर गांव के संजीव सूर्यवंशी ने अपने बेटे वैभव सूर्यवंशी को क्रिकेट में पहचान दिलाने के लिए सब कुछ दांव पर लगा दिया. जमीन तक बेच दी, लेकिन बेटे का सपना नहीं टूटने दिया.
बता दें, जल्द ही वैभव इंग्लैंड के लिए रवाना होंगे भारतीय टीम अंडर 19 में उन्होंने अपनी जगह पक्का कर ली है.