क्रिकेटिंग दुनिया में सवाल पर खूब डिबेट होती है. सवाल यह है कि खिलाड़ी के खेल बड़ा होता है या फिर देश. ज्यादा खिलाड़ी देश को ज्यादा प्राथमिकता देते हैं लेकिन कुछ खिलाडी ऐसे भी हैं जो देश से ज्यादा अपने खेल को महत्व देते हैं इसलिए जब उन्हें अपने देश में मौका नही मिलता है तब कोई दूसरे देश की टीम के साथ जुड़ जाते हैं. एक घटना के प्राइम उदाहरण है भारतीय खिलाड़ी उन्मुक्त चंद.
डेवोन काॅनवे हैं दक्षिण अफ्रीका के
न्यूजीलैंड और चेन्नई सुपर किंग्स के तरफ से खेलने वाले सलामी बल्लेबाज डेवोन काॅनवे का जन्म दक्षिणा अफ्रीका के जोहान्सबर्ग शहर में हुआ था. शुरू से ही काॅनवे को क्रिकेट का भूत सवार था इसलिए वह दक्षिण अफ्रीका के घरेलू सर्किट में खेलने लगे थे. उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में कम से कम 100 फर्स्ट क्लास मैच खेला है.
हालांकि काॅनवे का प्रदर्शन बेहतर था लेकिन दुर्भाग्य से वह स्क्वॉड में शामिल नही हो पा रहे थे. जब दस साल का वक्त खत्म होने को आया तो काॅनवे ने न्यूजीलैंड की नागरिकता ली और वही से क्रिकेट खेलना शुरू किया. जल्द ही वह न्यूजीलैंड के टीम मैनेजमेंट के नजर में आए और उनका सलेक्शन नेशनल टीम में हुआ.
चेन्नई सुपर किंग्स को चैंपियन बनाने में रहा था रोल
इस साल आईपीएल में चेन्नई सुपरकिंग्स ने गुजरात टाइटन्स को फाइनल में अंतिम गेंद पर हरा दिया था. चेन्नई के जीत के सबसे बड़े हीरो रहे थे डेवोन काॅनवे. काॅनवे ने इस सीजन 16 मुकाबले खेले. इस दौरान उन्होंने में 51.69 की औसत से 672 रन बनाए. उन्होंने ऋतुराज गायकवाड़ के साल मिलकर चेन्नई को बहुत मैच जीताया था.
न्यूजीलैंड के लिए कैसा रहा है काॅनवे का करियर
न्यूजीलैंड के लिए खेलते हुए डेवोन काॅनवे ने 16 टेस्ट मैच खेला है. इस दौरान उनके बल्ले से 50 को शानदार औसत से 1403 रन बनाया है. वही एकदिवसीय क्रिकेट में उन्होंने
18 मैच खेला है जिसमें उन्होंने 45 की औसत से 733 रन बनाए है.