Shubman Gill: भारतीय क्रिकेट टीम में प्रिंस के नाम से मशहूर Shubman Gill अपना जन्मदिन मना रहे हैं। क्रिकेट लवर के बीच गिल भरोसे और नई पीढ़ी के भरोसे का दूसरा नाम बन चुके हैं। हालांकि पंजाब के छोटे से शहर से आने वाले गिल का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था। 8 सितंबर 1999 को पैदा हुए गिल के लिए भारतीय टीम के कप्तानी तक का सफर बिल्कुल भी आसान नहीं था ।
टेस्ट टीम के कप्तान Shubman Gill आज करीब 50 करोड रुपए की संपत्ति के मालिक है। कहां से कमाते हैं गिल इतना मोटा पैसा। क्रिकेट के अलावा किन-किन चीजों से करते हैं मोटी कमाई लिए डालते हैं एक नजर।
100 में बदल दी Shubman Gill की दुनिया
दरअसल क्रिकेट को लेकर के Shubman Gill को शुरुआत से ही काफी पैशनेट देखा गया। लेकिन उनके इस इस सफर की शुरुआत उस 100 से हुई थी। जो उस समय गिल के पिता गांव के लड़कों को दिया करते थे। जो भी इनका विकेट लेता था। गिल के पिता ने उन्हें एक बेहतरीन क्रिकेट ट्रेनिंग देने के लिए उन्हें शहर तो ले साथ ही उन्होंने गांव में भी ऐसी पिच बनाई जो गिल के प्रैक्टिस में बेहद कम आई।
क्रिकेट के अलावा ब्रांड से मोटी कमाई
100 से शुरू हुए Shubman Gill के करियर में अब पंख लग चुके हैं। गिल 50 करोड रुपए हर साल कमाते हैं। इसमें दोहराई कि 50 करोड़ आगे चलकर और ज्यादा बढ़ जायेंगे। लेकिन बता रहे हैं कि गिल की यह मोटी कमाई क्रिकेट के अलावा ब्रांड से भी होती है। गिल के पास ऐसे 20 ब्रांड मौजूद हैं। जिन्हें वह इंडोर्स करते हैं और उन्हीं से मोटी कमाई करते हैं।
19 ब्रांड के नाम NIKE, जिलेट, CEAT, कैसियो, बजाज एलियांज लाइफ, कोका कोला, माइ सर्कल, बीट्स बाइ ड्रे, ऑकले, द स्लीप कंपनी, मशल ब्लेज, ITC एंगेज, TVS, JBL, टाटा कैपिटल, सिंथॉल, फियामा मेन, विंग्स, कैप्री लोन्स, गेम्स 24×7 यह शामिल है।
बीसीसीआई से मिला है ग्रेड ए का कॉन्ट्रैक्ट
आईपीएल के अलावा शुभमन गिल को टीम इंडिया के लिए खेलने के लिए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी कि बीसीसीआई भी पैसा देती है। पिछले साल 2024 में गई बीसीसीआई की ग्रेड ए कांट्रैक्ट में शामिल हो गए थे। जिससे उन्हें हर साल 7 करोड रुपए मिलते हैं। हालांकि इसके अलावा गिल टाटा कैपिटल, सीएट, भारत पे, माई 11 सर्कल जैसे बड़े ब्रांड के कॉन्ट्रेक्ट हैं। हाल ही में खिलाड़ी ने भारतीय टायर कंपनी MRF के साथ डील साइन की है।
जिसके कारण शुभमन गिल बेट पर अंग्रेजी शब्दों में MRF लिखा हुआ नजर आता है और MRF का स्टीकर लगाने के लिए उन्हें हर साल 8 से 10 करोड रुपए की मोटी रकम मिलती है।
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