एक बार फिर ठनी सरकार और अंबानी के बीच, सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला, जानें वजह

एक बार फिर मुकेश अंबानी और सरकार के बीच में तनातनी का माहौल बन गया है। क्योंकि रिलायंस इंडस्ट्री और उसके सहयोगी बीपी पीएलसी नेचुरल गैस की बिक्री का मामला सामने आया। जिसे मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के पार्टनर बीपी पीएलसी ने नेचुरल गैस की बिक्री के लिए नीलामी को स्थगित कर दिया है।

18 जनवरी को लगने वाली बोली टली

बता दें कि इस मामले में 18 जनवरी को लगने वाली बोली जिससे रोजाना करीब सात लाख घन मीटर गैस की सप्लाई होनी थी। जिसको रिलायंस और बीपी ने उन्हें गैस मार्केटिंग के नियम में बदलाव किया है। जिसकी वजह से सरकार ने नियमों में क्या बदलाव सरकार के नियमों इस बदलाव के बाद इन दोनों कंपनियों ने मिलकर फैसला लिया और उसे कैंसिल करने का कारण भी नहीं बताया।

रिलायंस और बीपी ने ये फैसला सरकार द्वारा नियम बदलने के बाद उठाया जहां सरकार द्वारा बनाए गए नियम निशुल्क गैस की बिक्री पर मार्जिन को लिमिटेड करने का था। जिससे इन कंपनियों पर खासा असर भी होगा। केजीडी 6 पर हैरान सरकार और रिलायंस इंडस्ट्रीज में कोई पहला ऐसा मामला नहीं है। जिस पर जीडी6 को गैस का मामला इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल कोर्ट में भी चला गया है। जिसमें ब्रिटेन की बीपी एक्सप्लोरेशन और कनाडा की नेरको रिसोर्सेज गैस उत्पादन में रिलायंस कोई कंपनियां साझेदारी है।

ये भी पढ़ें-नीता अंबानी की छोटी बहु हैं हुस्न की मल्लिका, खूबसूरती में कहीं नहीं टिकती हैं आलिया और उर्वशी जैसी खूबसूरत एक्ट्रेस

सरकार ने कही ये बात

सरकार ने कहा है कि इन कंपनियों ने लक्ष्य से कम गैस का उत्पादन किया है जिसकी वजह से सरकार ने उन्हें एक्सप्लोरेशन कास्ट देने से मना कर दिया। रिलायंस इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन को सरकार ने इसे रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था।

वहीं रिलायंस के लिए डीजी ब्लॉक की परिचालक है और इस ब्लॉक में उसकी हिस्सेदारी 66.67 % है, जबकि शेष 33.33 % हिस्सेदारी बीपी के पास है । यह मामला 2011 में सबके सामने आया था ।

ये भी पढ़ें-IPL 2023 से पहले प्रीति जिंटा ने चली बड़ी चाल, Punjab Kings में इस दिग्गज की अचानक कराई एंट्री, अब ट्रॉफी है पक्की!