पूर्व भारतीय ऑलराउंडर मनोज प्रभाकर ( Manoj Prabhakar) पर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड में मैच फिक्सिंग मामले में बैन लगाया था। लेकिन अब नेपाल क्रिकेट टीम ने मनोज प्रभाकर ( Manoj Prabhakar) को मुख्य कोच नियुक्त कर दिया है। श्रीलंका के पूर्व क्रिकेटर पुबुदु दासनायके अब तक नेपाल टीम के मुख्य कोच थे, जोकि अब कनाडा क्रिकेट टीम के मुख्य कोच बन गए हैं। उन्होंने जुलाई में इस्तीफा ले दिया था। भारतीय पूर्व खिलाड़ी मनोज प्रभाकर ( Manoj Prabhakar) उनकी जगह लेंगे। मनोज प्रभाकर को उसके समय का बेहतरीन कोच माना जाता है।
मनोज प्रभाकर का कैरियर है 12 साल लंबा
मनोज प्रभाकर ( Manoj Prabhakar) ने अपने कैरियर में काफी क्रिकेट खेला है। भारत के लिए 1984 से लेकर 1996 तक मनोज प्रभाकर ने 39 टेस्ट और 130 एकदिवसीय इंटरनेशनल मैच खेले हैं। इसी के साथ ही मनोज प्रभाकर पहले दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की रणजी टीम के कोच रह चुके हैं।
इंटरनेशनल लेवल पर मनोज प्रभाकर 2016 में अफगानिस्तान की नेशनल टीम के गेंदबाजी कोच भी रह चुके थे। नेपाल क्रिकेट संघ ने अनुसार मनोज प्रभाकर ने बताया,
“नेपाल में क्रिकेट के प्रति रुचि, उनकी प्रतिभा और कौशल स्तर को देखते हुए मैं वास्तव में नेपाल क्रिकेट टीम के साथ काम करने और उसे एक मजबूत टीम बनाने के लिए उत्सुक हूं”।
अपने समय के दिग्गज ऑल राउंडर हैं मनोज प्रभाकर
भारतीय क्रिकेट में हर दशक में कई नामचीन खिलाड़ियों ने नाम कमाया। सन 1980 और 1990 के दशक में मनोज प्रभाकर के नाम से भारतीय क्रिकेट का हर एक फैन वाकिफ था। मनोज प्रभाकर ( Manoj Prabhakar) ने अपने कैरियर टीम इंडिया के लिए 39 टेस्ट मैच खेलकर 37.30 की औसत से 96 विकेट लिए है।
साथ ही 58 टेस्ट पारियों में 32.65 की औसत से 1600 रन बनाए है। जिसमें 1 शतक और 9 अर्धशतक शामिल भी हैं। सीमित ओवर क्रिकेट में 130 वनडे में 1858 रन बनाए, जिनमें 2 शतक और 11 अर्धशतक शामिल हैं। वहीं ऑल राउंडर खिलाड़ी ने 28.47 की औसत से 157 विकेट हासिल किए हैं।
खिलाड़ी पर लगे थे फिक्सिंग के आरोप
मनोज प्रभाकर एक स्टिंग ऑपरेशन में शामिल हुए थे, जिसमें कई क्रिकेटर्स को एक्सपोज करने की कोशिश की गई। लेकिन इस स्टिंग ऑपरेशन में खिलाड़ी पर ही फिक्सिंग का आरोप लग गया था। जिसके बाद ही बीसीसीआई ने मनोज प्रभाकर पर क्रिकेट खेलने पर बैन लगा दिया। वहीं साल 2011 में वो एक बार फिर चर्चा में आए थे, जब उन्हें दिल्ली टीम के कोच के पद से इस्तीफा देना पड़ा था क्योंकि उन्होंने सरेआम कई खिलाड़ियों और सेलेक्टर्स की आलोचना कर दी थी। इसी के साथ राजनीति में साल 1996 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था हालाकि उसमें उन्हे कामयाबी नहीं मिली।