बीती शनिवार की रात माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की तीन सिरफिरे अपराधियों ने पुलिस की मौजूदगी में ताबड़तोड़ गोली बरसाकर मौत के घाट उतार दिया। बता दें कि माफिया अतीक अहमद जुर्म की दुनिया से राजनीति तक पहुंचा था। लेकिन सत्ता और ताकत के अहंकार में अतीक ने कुछ ऐसे कांड कर दिए, जिसकी कीमत उसे अपनी जान गवांकर देनी पड़ी।
1.बहुचर्चित गेस्ट हाउस कांड
रिपोर्ट्स के मुताबिक माफिया अतीक अहमद साल 1989 में पहली बार इलाहाबाद पश्चिमी से निर्दलीय विधायक बना। इसके बाद लगातार 2 बार साल 1991 और 1993 में वह विधायक बना। इस दौरान अतीक अहमद की नजदीकियां समाजवादी पार्टी से बढ़ने लगी। वहीं साल 1995 में अतीक का नाम बहुचर्चित गेस्ट हाउस कांड में भी सामने आया, जिसके बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने अतीक को अपना दुश्मन मान लिया। लेकिन अतीक को इस बात का बिलकुल भी अंदाजा नहीं था कि भविष्य में इस दुश्मनी की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
बहरहाल अतीक इन सब बातों से अनजान मुलायम सिंह की नजदीकियों से खुश था। वहीं इस दौरान समाजवादी पार्टी ने साल 1996 में अतीक अहमद को टिकट दे दिया। चौथी बार विधायक बनने के बाद अतीक अहमद को संसद में बैठने का भूत सवार हो गया। साल 1999 में प्रतापगढ़ से अतीक अहमद ने अपना दल के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा। हालांकि उसे हार नसीब हुई। इसके बाद अतीक एक बार फिर साल 2002 में पांचवी बार इलाहाबाद पश्चिमी सीट से विधायक बना। लेकिन इस दौरान उसे संसद में जाने का भूत सवार था।
वहीं 2 साल बाद फिर समाजवादी पार्टी के टिकट पर साल 2004 में उसने फूलपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत गया। लेकिन फूलपुर का सांसद बनने के बाद दूसरी ओर इलाहाबाद पश्चिम की सीट खाली हो गई, जिसपर वह अपने भाई अशरफ अहमद को चुनाव लड़ाने की तैयारी करने लगा।
2.अतीक की जिंदगी का दूसरा बड़ा कांड- राजू पाल हत्याकांड
वहीं इस दौरान बसपा ने अशरफ के खिलाफ राजू पाल को टिकट दे दिया। इस चुनाव में राजू पाल ने अशरफ को 4 हजार वोटों से हरा दिया। अपने भाई अशरफ की हार को अतीक अहमद बर्दाश्त नहीं कर पाया, जिसके बाद विधायक राजू पाल पर कई हमले हुए। जिनमें से 2 हमलों में राजू पाल साफ साफ बच गया, लेकिन 25 जनवरी 2005 को राजू पाल को हमलावरों ने मौत के घाट उतार दिया।
बताया जाता है कि राजू पाल को इस दौरान 19 गोलियों से छलनी कर दिया गया था, जिसकी वजह से उन्होंने मौके पर ही दम तोड़ दिया। वहीं इस हत्याकांड में अतीक अहमद का नाम सामने आया। ये अतीक अहमद की जिंदगी का दूसरा ऐसा कांड था, जिसकी कीमत उसे भविष्य में चुकानी पड़ी। समय बीता दो साल बाद साल 2007 में मायावती के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत वाली बसपा की सरकार बनी।
इस दौरान समाजवादी पार्टी ने राजू पाल हत्याकांड और मदरसा कांड की वजह से अतीक को पार्टी से निकाल दिया था, जिसके बाद अतीक की लाइफ का टर्निंग प्वाइंट शुरू हुआ। साल 2007 में मृतक राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने अतीक के भाई अशरफ को चुनाव में हरा दिया।
वहीं दूसरी ओर मौजूदा मुख्यमंत्री मायावती ने 20 हजार का इनाम लगाकर अतीक को मोस्ट वॉन्टेड घोषित कर दिया, जिसके बाद अतीक के करोड़ों की संपत्ति जब्त कर दी गई। साथ ही उसकी कई बिल्डिंगें भी गिरा दी गईं। इनामिया घोषित होने के बाद अतीक को पुलिस ने दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया।
3.अतीक की जिंदगी का तीसरा बड़ा कांड – मदरसा कांड
बता दें कि अतीक अहमद की जिंदगी का एक और कांड जिसके बिना इसकी काली करतूतों को अधूरा माना जाता है। जी हां, मदरसा कांड, बता दें कि इलाहाबाद के महमूदबाद की मस्जिद में शहर और स्थानीय गरीब घरों की लड़कियां पढ़ाई करती थीं। वहीं इस मदरसे में एक लड़कियों का हॉस्टल था।
17 जनवरी 2007 को देर रात हॉस्टल के दरवाजे पर कुछ लोगों ने धमकी भरे अंदाज में दरवाजा खोलने को कहा। वहीं दरवाजा खोलने के बाद तीन लोग अंदर घुस गए और हॉल में सो रहीं लड़कियों के पास जाकर उनमे से दो नाबालिग लड़कियों को अपने साथ ले गए। इस दौरान उनके साथ दो लोग और आ गए। इसके बाद इन पांचों ने दोनों लड़कियों के साथ कई बार दुष्कर्म किया और मदरसे के गेट पर लड़कियों को लहूलुहान हालत में छोड़ कर फरार हो गए।
वहीं इस शर्मनाक कांड के अगले दिन पुलिस ने लीपापोती की कोशिश शुरू कर दी और सिर्फ छेड़खानी की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया। रिपोर्ट्स की मुताबिक इस घटना में असली आरोपी अतीक के भाई अशरफ के लोग शामिल थे। इस दौरान आम लोगों में काफी रोष था। लोगों ने जगह-जगह धरना प्रदर्शन करना शुरु कर दिया। तब जाकर सरकार बैकफुट पर आई और फिर इन अपराधियों के खिलाफ रेप की संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया।
साथ ही पुलिस ने आनन-फानन पुलिस में इस घटना का खुलासा करते हुए पांच लोगों की गिरफ्तारी दिखाई। जिनमें रिक्शा चलाने वाले और दर्जी शामिल थे, जिसके बाद इस घटना के खुलासे पर पुलिस के ऊपर सवाल उठने लगे। हालांकि बाद में पांचों गिरफ्तार किए हुए रिक्शा चालक और दर्जी छूट गए। वहीं रिहा होने के बाद उन्होंने बताया कि पुलिस ने उन पर दबाव डालकर इस कांड में शामिल होने का बयान दर्ज करवाया था। बाद में खुलासे में फिर से अतीक का नाम मदरसा कांड में सामने आया।
दरअसल, असली आरोपियों को बचाने के लिए अशरफ ने अपने रसूख का इस्तेमाल किया था। बता दें कि मदरसा कांड के बाद अतीक और उसके परिवार से किसी भी शख्स ने चुनाव नहीं जीता। वहीं साल 2007 में मृतक राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने अशरफ को हराया और 2012 में अतीक अहमद को मात दी।
मुलायम सिंह यादव की पारिवारिक कलह ने बढ़ाई अतीक की मुश्किलें
बता दें कि साल 2012 में एक बार फिर समाजवादी पार्टी की सरकार बनी, जिसके बाद अतीक अहमद को लगा कि उसकी राजनीतिक जिंदगी फिर से वापस आ जायेगी। वहीं साल 2014 में समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव में अतीक को सुल्तानपुर का टिकट दिया, लेकिन समाजवादी पार्टी में विरोध शुरू हो गया और अतीक को सुल्तानपुर की जगह श्रावस्ती का टिकट दे दिया गया। जहां चुनाव में अतीक को भाजपा के दद्दन मिश्रा ने हरा दिया। वहीं दूसरी ओर मुलायम सिंह यादव के परिवार में मनमुटाव बढ़ने लगा, जिसकी वजह से अतीक की और मुसीबतें बढ़ गईं।
मुलायम के कुनबे की कलह ने भी अतीक की मुसीबतें बढ़ाईं। फिर आया 2017 का विधानसभा चुनाव जिसमें समाजवादी पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की लिस्ट पहले ही जारी कर दी थी। इस लिस्ट में अतीक अहमद को कानपुर कैंट से टिकट दिया गया था। बताया जाता है कि अतीक अहमद 22 दिसंबर 2016 को 500 गाड़ियों के काफिले के साथ कानपुर पहुंचा।
हालात ये थे कि अतीक का काफिला जहां से भी गुजरता वहां जाम लग जाता था। इस दौरान अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन चुके थे। तभी उन्होंने पार्टी से अतीक अहमद को बाहर निकाल दिया।
4.उमेश पाल हत्याकांड के बाद अतीक के मौत की उलटी गिनती शुरू
साल 2017 के विधानसभा चुनाव से एक महीने पहले ही फरवरी में अतीक अहमद को गिरफ्तार कर लिया गया, जिसके बाद अतीक अहमद के ऊपर लगे सभी मामलों में उसकी जमानत रद्द कर दी गईं। तब से वह अपनी मौत तक सलाखों के पीछे ही रहा।
अतीक अहमद के जुर्म की दुनिया के ताबूत पर आखिरी कील एक तरफ मौजूदा सरकार अतीक पर शिकंजा कसती जा रही थी। वहीं इस साल 24 फरवरी को राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की इलाहाबाद में खुलेआम हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड में भी फिर अतीक का नाम सामने आया।
दरअसल, इस हत्याकांड को अतीक के बेटे असद ने अंजाम दिया था। साथ ही इस हत्याकांड में बमबाज गुड्डू मुस्लिम और शूटर गुलाम भी शामिल थे। दूसरी ओर इस हत्याकांड से सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ काफी ज्यादा तमतमा गए, उन्होंने सदन में माफिया को मिट्टी में मिला देंगे का बयान दे डाला और हुआ भी कुछ ऐसा ही। उमेश पाल हत्याकांड के 50 दिनों के अंदर ही अतीक के परिवार के कई सदस्य मिट्टी में मिला दिए गए।
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