Virat Kohli: भारतीय टीम का आखिरकार टेस्ट में हारने के बाद वनडे में जबरदस्त जीत हासिल हुई है. पहले वनडे मैच में किसी तरह से जीती टीम इंडिया दूसरे मैच में हार गयी लेकिन तीसरे मैच में दमदार प्रदर्शन किया. और बता दिया चैंपियन वही है. भारत ने यह मुकाबला 10 ओवर पहले ही 9 विकेट से जीत लिया है. इस मैच में कोहली (Virat Kohli) का तेज तरार अर्धशतकीय पारी देखने को मिला है.
वही यशस्वी ने बेहतरीन नाबाद शतक ठोक जीत दिलाकर मैच खत्म किया. वही उनका साथ कोहली (Virat Kohli) ने भी अंत तक दिया उन्होंने 45 गेंद में 65 रन की पारी खेली. 3 छक्के और 6 चौके भी मारे. इस पारी की बदौलत उनको इस सीरीज में 2 शतक और एक अर्धशतक के लिए प्लेयर ऑफ़ सीरीज चुना गया है. पोस्ट मैच में बात करते हुए उन्होंने माना कैसे उन पर दबाव बना था. और वह खुद पर शक करने लगे थे.
विराट कोहली (Virat Kohli) ने प्लेयर ऑफ़ सीरीज लेते हुए कहा मै अब आजाद महसूस कर रहा हूँ
Virat Kohli ने बात करते हुए बताया और कहा कि,
“सच कहूँ तो, इस सीरीज़ में जिस तरह से मैंने खेला है, वो मेरे लिए सबसे संतोषजनक रहा है. मुझे नहीं लगता कि मैंने इस स्तर पर 2-3 साल से ज़्यादा खेला है और मैं मन ही मन बहुत आज़ाद महसूस कर रहा हूँ. पूरा खेल अब अच्छी तरह से ढल रहा है. अपने तय किए हुए मानकों को बनाए रखना और उस स्तर पर खेलना जिससे मैं टीम पर प्रभाव डाल सकूँ. और मुझे पता है कि जब मैं मध्यक्रम में इस तरह से बल्लेबाज़ी कर सकता हूँ, तो इससे टीम को काफ़ी मदद मिलती है क्योंकि मैं लंबे समय तक, परिस्थिति के अनुसार बल्लेबाज़ी कर सकता हूँ. और सिर्फ़ आत्मविश्वास से मुझे लगता है कि मध्यक्रम में किसी भी स्थिति से निपटने और टीम के पक्ष में उसे लाने के लिए मेरे पास ज़रूरी क्षमता है.”
Virat Kohli ने बताया गिर गया था आत्मविश्वास, क्रिकेट पर उठ गया था विश्वास
कोहली ने बात करते हुए आने खराब दौर को याद किया और कहा कि,
“जब आप इतने लंबे समय तक, 15-16 साल तक खेलते हैं, तो ज़ाहिर है, आपके कई दौर ऐसे आते हैं जब आपको अपनी क्षमता पर शक होता है. ख़ास तौर पर एक बल्लेबाज़ के तौर पर, क्योंकि आप सचमुच एक गलती पर निर्भर होते हैं. तो, आप अक्सर एक ऐसी स्थिति में पहुँच जाते हैं जहाँ आपको लगता है कि शायद मैं उतना अच्छा नहीं हूँ, और घबराहट हावी हो जाती है.”
कोहली का आख़िरकार छलका दर्द कहा कि,
“मैं इस बात की पूरी गारंटी दे सकता हूँ कि एक बल्लेबाज़ होने के नाते और अपने बारे में इतना कुछ जानने के बाद, मेरी नकारात्मक सोच किस तरह की होती है, जहाँ मैं ऐसे दौर में पहुँच जाता हूँ जहाँ मुझे आत्मविश्वास नहीं होता या जब मैं खुद जैसा महसूस कर रहा होता हूँ, तो वो छोटी-छोटी बातें क्या होती हैं. यह आपको एक इंसान के तौर पर बेहतर बनाता है और इतने सालों में आपका स्वभाव काफी बेहतर और संतुलित हो जाता है. तो, हाँ, मेरे जीवन में ऐसे कई दौर आए हैं जब मुझे खुद पर शक हुआ है और मुझे यह स्वीकार करने में कोई शर्म नहीं है. इसलिए, मुझे लगता है कि इतने लंबे सफ़र में यह किसी के भी सफ़र का एक बहुत ही मानवीय हिस्सा है लेकिन मुझे खुशी है कि मैं अभी भी टीम के लिए योगदान दे पा रहा हू.”
