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‘2011 में हमारे पास गंभीर, युवराज, रैना थे लेकिन अब’…रवि शास्त्री ने बताई सबसे बड़ी कमी, कहा- जीतना वर्ल्ड कप तो करो ये काम

मंगलवार को इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) ने वनडे विश्व कप 2023 का शेड्यूल जारी कर दिया। 5 अक्टबूर को इस टूर्नामेंट का आगाज होगा। वहीं, 19 नवंबर को फाइनल मैच खेला जाएगा। अक्टूबर में शुरु होने जा रहे इस मेगा टूर्नामेंट की मेजबानी टीम इंडिया करेगी। उम्मीद है कि रोहित शर्मा की अगुवाई में भारत 10 साल से पड़े आईसीसी ट्रॉफी के सूखे को खत्म करने में कामयाब होगा।

साल 2011 में टीम इंडिया ने तत्कालीन कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में खिताब पर कब्जा जमाने में कामयाबी हासिल की थी। उस वक्त टीम में युवराज सिंह, गौतम गंभीर, सचिन तेंदुलकर जैसे तमाम दिग्गज प्लेयर्स मौजूद थे। अब टीम में रोहित शर्मा, विराट कोहली, रविंद्र जडेजा जैसे खिलाड़ी टीम में शामिल हैं। इसके बावजूद पूर्व क्रिकेटर रवि शास्त्री को लगता है कि टीम में कुछ खामी है जिसे वनडे विश्व कप 2023 से पहले दूर करना आवश्यक है।

टीम इंडिया को अपनी इस कमी से पाना होगा छुटकारा

1983 में भारत को विश्व विजेता बनाने वाली टीम का हिस्सा रहे रवि शास्त्री ने एक इंटरव्यू के दौरान इस बात का खुलासा किया कि टीम इंडिया में बाएं हाथ के बल्लेबाजों की खासा कमी है जो आगामी टूर्नामेंट में मुसीबत बन सकती है।

पूर्व मुख्य कोच ने कहा कि,

“भारत के लिए यह चैलेंजिंग होने वाला है, फॉर्म बहुत अहम हो जाती है, आपको सही बैलेंस पर ध्यान लगाने की जरूरत है। क्या आपको लगता है कि एक बाएं हाथ के बल्लेबाज से फर्क पड़ेगा? मैं यह नहीं कह रहा कि ओपनिंग साझेदारी में एक बाएं हाथ का बल्लेबाज होना ही चाहिए, लेकिन टॉप-3 या टॉप-4 में तो होना ही चाहिए। मैं टॉप-6 में कम से कम दो बाएं हाथ के बल्लेबाजों का ऑप्शन देखना चाहूंगा।“

जीतना है तो बाएं हाथ के बल्लेबाजों को दो मौका

इस दौरान रवि शास्त्री ने 2011 में विश्व विजेता रही टीम का भी जिक्र किया। उन्होंने बाएं हाथ के बल्लेबाजों की तारीफ की और कहा कि उनका इस जीत में अहम योगदान रहा था।

शास्त्री ने आगे कहा कि,

“जब भी भारतीय टीम ने अच्छा किया है, बाएं हाथ के बल्लेबाजों का रोल रहा है, 2011 में आपके पास गौतम गंभीर थे, युवराज सिंह थे और सुरेश रैना थे। 1974 की बात करें तो एल्विन कालीचरन, रॉय फ्रेडरिक्स, क्लाइव लॉयड थे, 1979 में भी ऐसा ही था। 1983 में ऐसा नहीं था, लेकिन तब सबकुछ बहुत अलग था। ऑस्ट्रेलिया के पास काफी लेफ्ट हैंडर्स बल्लेबाज रहे हैं। 1996 में श्रीलंका के पास सनत जयसूर्या, अर्जुन राणातुंगा, असांका गुरुसिंहा थे।“

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