इंडियन प्रीमियर लीग के इस 15वें सीजन के लीग मैच लगभग आधे नंबर तक पहुंच चुके हैं। आईपीएल में अब तक खेले गए मैच में युवा खिलाड़ियों में अपने प्रदर्शन से अपना नाम बनाया है। आईपीएल में युवा बल्लेबाज, गेंदबाज या फिर नए कैप्टन सभी में एक असर छोड़ा है। लीग में विदेशी खिलाड़ियों के लिए निर्भरता में कुछ कमी आई है। वहीं भारतीय घरेलू सीजन में खेलने वाले खिलाड़ी मैच विनर बनकर समाने आए हैं। जिसके बाद अब क्रिकेट जगत के एक महान खिलाड़ी और भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कोच रह चुके गैरी कर्स्टन (gary kirsten) ने भारतीय खिलाड़ियों की आईपीएल में निरंतता पर सकारात्मक बात की है। जानिए क्या कहा पूर्व कोच गैरी कर्स्टन (gary kirsten) ने…
अभी तक का टूर्नामेंट युवा खिलाड़ियों के नाम रहा : गैरी कर्स्टन
इंडियन प्रीमियर लीग में अब तक के खेले गए मैच में कई युवा खिलाड़ियों का नाम सामने आया है। युवा खिलाड़ियों ने आईपीएल जैसे दबाव वाली लीग में अच्छा प्रदर्शन करके अपनी टीम के लिए अच्छा प्रदर्शन भी किया है। जिसके बाद भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कोच रह चुके गैरी कर्स्टन ने आईपीएल के विषय में बातचीत में कहा है कि अभी तक का आईपीएल टूर्नामेंट युवा भारतीय खिलाड़ियों के नाम रहा है। भारतीय खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन किया है।
वहीं कुछ खिलाड़ियों ने वाकई काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। आईपीएल जैसे दबाव वाले टूर्नामेंट में ऐसा कर पाना आसान बात नही है। आईपीएल में अब तक मुंबई इंडियंस ने एक भी मैच नहीं जीता है। मुंबई इंडियंस ने पहले चार विदेशी खिलाड़ियों को मौका दिया था। लेकिन हार के बाद ये संख्या आधी कर दी। हालांकि आईपीएल प्वाइंट टेबल में टॉपर टीम गुजरात टाइटंस ने अपने हर मैच में चार विदेशी खिलाड़ियों को मौका दिया है।
इस साल ये भारतीय खिलाड़ी बिखेर रहे अपना जलवा
इंडियन प्रीमियर लीग का हर नया साल कुछ नए नाम पर रोशनी डालने के साथ आता है। इसी क्रम में इस साल आईपीएल में विदेशी खिलाड़ियों के बजाय भारतीय खिलाड़ियों ने अपना जलवा बिखेरा है। उमरान मलिक (Umran malik) हो या आयुष बदोनी (Ayush badoni) कई भारतीय खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन किया है।
कप्तानी में भी भारतीय युवा खिलाड़ियों ने किया कमाल
इस साल आईपीएल की कुल 10 टीम में 8 टीम के कप्तान भारतीय खिलाड़ी हैं। सनराइजर्स हैदराबाद में केन विलियमसन और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने फाफ डु प्लेसिस को कैप्टन बनाया हैं। जबकि अन्य सभी फ्रेंचाइजी ने विदेशी खिलाड़ियों पर अपनी निर्भरता को कम करते हुए युवा खिलाड़ियों के हाथ में टीम की बागडोर सौंपी है।