पिता के त्याग से बेटी बनी इंटरनेशनल खिलाड़ी, आज भारत की चैम्पियन खिलाड़ी हैं पूजा वस्त्राकर
पिता के त्याग से बेटी बनी इंटरनेशनल खिलाड़ी, आज भारत की चैम्पियन खिलाड़ी हैं पूजा वस्त्राकर

आपकी कामयाबी के पीछे मां-बाप का बहुत बड़ा हाथ होता है. ऐसी एक कहानी हम आपको पूजा वस्त्राकर (POOJA VASTRAKAR) के बारे में बताने जा रहे हैं कि कैसे उनके पिता ने त्याग कर उनको इस मुकाम कर पहुंचाया है. पूजा वस्त्राकर आज भारतीय टीम की स्टार ऑलराउंडर हैं. उनका नाम सिर्फ भारत में नहीं विदेशों में भी लोग उन्हें बखूबी जानते हैं.

पूजा वस्त्राकर (POOJA VASTRAKAR) बिग बैश लीग भी खेल चुकी हैं. पूजा ने अपनी वो मंजिल पा ली है, जिसका कभी उन्होंने सपना देखा था. उनकी इस कामयाबी के पीछे उनके पिता बंधनराम वस्त्राकर (BANDHAN RAM VASTRAKAR) का बहुत बड़ा हाथ है.

पिता ने किया मोटीवेट

bghan ram vastrkar

पहले एक वक़्त ऐसा था, जब लोग अपने बच्चों को सिर्फ पढ़ाई के लिए बोला करते थे और खेल-कूद से उन्हें कोसो दूर रखा करते थे. उसी दौर पूजा के पिता, बंधनराम वस्त्राकर (BANDHAN RAM VASTRAKAR), ने अपनी बेटी पूजा को क्रिकेट के लिए कभी मना नहीं किया, बल्कि उन्हें हमेशा खेलने के लिए मोटीवेट किया.

पिता, बंधनराम वस्त्राकर (BANDHAN RAM VASTRAKAR) के मोटीवेशन और त्याग का ही नतीजा है कि पूजा वस्त्राकर आज इंडिया टीम की एक फेमस ऑलराउंडर बन चुकी हैं.

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घर में हमेशा से रहा खेल-कूद का माहौल

pooja vastrkar

पूज वस्त्राकर की बड़ा बहन, उषा वस्त्राकर (USHA VASTARKAR), बताती हैं कि घर में हमेशा से एक खेल-कूद वाला माहौल रहा है. उषा वस्त्राकर (USHA VASTRAKAR), खुद एक एथिलीट हैं. वो बताती हैं कि हम पांच बहन और दो भाई हैं और आज हम सब अपने करियर में एक अच्छे मुकाम पर हैं. इस वक़्त उषा वस्त्राकर एक स्पोर्ट टीचर के तौर पर एक स्कूल में अपना योगदान दे रही हैं. उनका एक बड़ा भाई भी लोकल लेवल का फुटबॉल खिलाड़ी है. पिता, बंधनराम, कैरम चैंपियन थे. वो अक्सर कैमर की तमाम प्रतिस्पर्धा जीतते थे, जिससे हमेशा घर में खेल कूद बातें होती रहीं.

पूरी जिंदगी साइकिल से चले पिता

उषा वस्त्राकर बताती हैं कि पिता बंधनराम खुद हमेशा साइकिल से चले लेकिन हम लोगों को कभी किसी चीज़ की कमी नहीं होने दी. बंधनराम बीएसएनएल में एक चपरासी के तौर पर नौकरी की शुरुआत की थी और आखिर में एक बाबू के तौर पर रिटायर हुए. पूजा ने बताया, साल 2010 में मां के गुज़र जाने के बाद पापा ने मां और बाप दोनों का फर्ज बखूबी निभाया. इस तमाम त्यागों का ही नतीजा है कि पूजा वस्त्राकर से लेकर आज उनके सारे ही भाई बहनों ने अच्छा नाम किया है.

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Published on June 19, 2022 8:54 pm