कप्तान के तौर पर Mahendra Singh Dhoni द्वारा लिए गए 4 ऐसे निर्णय, जिसने भारत को विश्व में दिलाया सम्मान
कप्तान के तौर पर Mahendra Singh Dhoni द्वारा लिए गए 4 ऐसे निर्णय, जिसने भारत को विश्व में दिलाया सम्मान

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रिकेट के खिलाड़ियों द्वारा सिर्फ अपनी टीम का ही नहीं बल्कि अपने देश का भी प्रतिनिधित्व किया जाता है। ऐसी स्थिति में अगर कहीं आप उस टीम के कप्तान हैं, तो आपके ऊपर सबसे अधिक जिम्मेदारियों का बोझ हो जाता है। भारतीय क्रिकेट टीम के लिए 2004 में अपना पहला वनडे मुकाबला खेलने वाले Mahendra Singh Dhoni आगे चलकर 2007 में भारतीय टीम के कप्तान बन सके।वहीं 2007 से लेकर 2016 तक अपनी कप्तानी के दौरान उनके द्वारा कई बड़े और अहम फैसले लिए गए।

धोनी द्वारा 2008 से 2014 तक भारतीय टेस्ट टीम और 2007 से 2016 तक सीमित ओवरों के क्रिकेट में भारतीय टीम के लिए कप्तानी की गई। वहीं धोनी टी20 विश्व कप, 50 ओवरों के विश्व कप और चैंपियंस ट्रॉफी जीतने वाले एकमात्र कप्तान है। इसके साथ साथ महेंद्र सिंह धोनी द्वारा अपनी कप्तानी के दौरान भारतीय टीम को टेस्ट क्रिकेट की अंक तालिका में शीर्ष स्थान तक पहुंचाया गया।

भारतीय कप्तान के रूप में खेलते हुए महेंद्र सिंह धोनी द्वारा अपने करियर के दौरान कुछ अहम और बड़े फैसले लिए गए हैं, जिन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम को पूरी तरह से बदल कर रख दिया। इसी आधार पर आज हम आपको धोनी द्वारा लिए गए ऐसे चार फैसलों के बारे में बताएंगे, जिनके द्वारा पूरी तरीके से भारतीय क्रिकेट को बदल दिया गया।

विश्व कप 2011 के दौरान बल्लेबाजी क्रम में खुद को प्रमोट करना

महेंद्र सिंह धोनी

2011 के वर्ल्ड कप के दौरान अच्छी लय में ना होने के बाद भी महेंद्र सिंह धोनी मैदान पर फाइनल मुकाबले के दौरान युवराज सिंह के पहले नंबर पांच पर बल्लेबाजी करने उतरे। धोनी का उठाया गया यह कदम कारगर साबित हुआ, और भारतीय कप्तान द्वारा 79 गेंदों पर नाबाद 91 रन बनाए गए, जिसमें 8 चौके और 2 छक्के भी शामिल थे। दबाव में धोनी द्वारा बेहतरीन पारी खेली गई और 275 रनों के लक्ष्य तक भारतीय टीम को पहुंचा कर विश्व कप जिताया गया।

साल 2007 t20 वर्ल्ड कप में जोगिंदर शर्मा द्वारा आखिरी ओवर करवाना

जोगिंदर शर्मा टी20 विश्व कप 2007

भारत द्वारा 2007 विश्व टी20 के फाइनल में पाकिस्तान को 158 रनों का लक्ष्य दिया गया था। अंतिम ओवर में पाकिस्तान को जीत के लिए 13 रनों की आवश्यकता थी, और धोनी द्वारा जोगिंदर शर्मा के हाथों में गेंद सौंप दी गई। जोगिंदर शर्मा द्वारा कमाल दिखाते हुए मिस्बाह उल हक का विकेट चटका कर लक्ष्य का बचाव किया गया।

भारत 5 रनों से फाइनल जीतने में कामयाब रहा। अनुभवहीन शर्मा पर भरोसा करने का निर्णय धोनी का एक मास्टरस्ट्रोक था। इसी के चलते भारत को पहला टी20 विश्वकप का खिताब जीतने में कामयाबी हासिल हो सकी।

वनडे क्रिकेट के दौरान सलामी बल्लेबाज के रूप में रोहित शर्मा को मौका देना

रोहित शर्मा

वनडे क्रिकेट के मध्यक्रम में रोहित शर्मा रन बनाने के लिए संघर्ष करते नजर आ रहे थे। धोनी द्वारा इसके बाद उन्हें सलामी बल्लेबाज के रूप में बल्लेबाजी कराई गई, तब से रोहित द्वारा बतौर बल्लेबाज अपनी एक अलग पहचान बनाई गई।

वनडे में सलामी बल्लेबाज के रूप में रोहित द्वारा 138 पारियों में, 58.11 की औसत से 7148 रन बनाए गए, जिसमें 31 अर्धशतक और 27 शतक भी शामिल है। अपने एकदिवसीय करियर के दौरान उनके द्वारा तीन दोहरे शतक लगाए गए हैं। यह उपलब्धि हासिल करने वाले रोहित एकमात्र क्रिकेटर हैं।

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कुछ खास खिलाड़ियों पर भरोसा जताना

रविंद्र जडेजा और सुरेश रैना

शुरुआती दिनों में खराब प्रदर्शन करने के बावजूद भी धोनी द्वारा मुरली विजय, रवींद्र जडेजा और सुरेश रैना जैसे खिलाड़ियों का समर्थन किया गया और तीनों ही खिलाड़ी धोनी की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर सके। टेस्ट क्रिकेट में सलामी बल्लेबाज के रूप में विजय द्वारा खुद को साबित किया गया। काफी समय तक रैना भारतीय मध्यक्रम का अहम हिस्सा रह चुके हैं।

इस बीच जडेजा अब तीनों ही प्रारूपों में भारतीय टीम का एक अहम हिस्सा है। वर्तमान में टेस्ट क्रिकेट में भारत के प्रमुख तेज गेंदबाज इशांत शर्मा भी धोनी का समर्थन करने वाले खिलाड़ियों में से एक हैं।

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