रणजी ट्रॉफी के 3 दिग्गज कप्तान जिनको सचिन, द्रविड़ के वजह से नहीं मिल पायी टीम इंडिया में जगह, एक मैच खेलने को तरस गए
रणजी ट्रॉफी के 3 दिग्गज कप्तान जिनको सचिन, द्रविड़ के वजह से नहीं मिल पायी टीम इंडिया में जगह, एक मैच खेलने को तरस गए

130 करोड़ से अधिक की आबादी वाले भारत में क्रिकेट में नेशनल टीम का प्रतिनिधित्व करने के लिए असली संघर्ष घरेलू क्रिकेट में करना पड़ता है। भारत में भी सुबह-सबेरे तमाम युवा लड़के अपने कंधे पर क्रिकेट किट लटकाए अपने करीबी स्टेडियम में जाते हुआ आपको भी नजर आ जायेंगे। इन युवाओं के जेहन में बस एक ही सपना रहता है कि वह भी एक दिन भारत के लिए क्रिकेट खेलेंगे।

 

बता दें, जो भी खिलाड़ी रणजी ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन करते हैं उनका ही चयन नेशनल टीम में होता है लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि जब काफी रन बटोरने और कई विकेट चटकाने के बाद भी कोई खिलाड़ी नेशनल टीम का हिस्सा नहीं बन पाता। आज हम आपको 3 रणजी कप्तानों के बारे में बताएंगे जिन्हें कभी भी भारतीय टीम का हिस्सा नहीं बनाया गया।

मिथुन मन्हास

Mithun Manhas

मिथुन मन्हास की गिनती बेहद प्रतिभावान क्रिकेटर में होती है लेकिन दुर्भाग्यवश उनके समय में इंडियन क्रिकेट टीम में सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण जैसे दिग्गज खिलाड़ी थे। ऐसे में उन्हें राष्ट्रीय टीम में कभी भी शामिल होने का मौका नहीं मिला। दिल्ली की रणजी टीम की कप्तानी कर चुके मिथुन मन्हास साल 1998 से लगातार घरेलू क्रिकेटमें अपना लोहा मनवा रहे थे। साल 2007-08 के सीजन में उनके बेहतरीन खेल की ही वजह से दिल्ली ने रणजी ट्राफी का ख़िताब जीता था। उस सीजन में उन्होंने 57.56 के औसत से 921 रन जुटाए थे। वैसे मन्हास के नाम प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 9714 रन दर्ज है।

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अमोल मजूमदार

amol majumdar

विनोद काम्बली और सचिन तेंदुलकर ने जब शारदा आश्रम विद्या मंदिर के लिए खेलते हुए हैरिस शील्ड टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में 664 रनों की बड़ी साझेदारी की थी। उस वक्त अगले बल्लेबाज़ के रूप में अमोल मजुमदार पैड पहने हुए बेंच बैठे थे और अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। मुंबई की कप्तानी कर चुके अमोल मजुमदार ने अपनी प्रतिभा का परिचय दिया और अपने पहले मैच में ही 260 रन बना डाले। अमोल ने घरेलू स्तर पर कई रिकॉर्ड अपने नाम किये लेकिन उन्हें भी सचिन, द्रविड़, गांगुली और लक्ष्मण जैसे दिग्गज खिलाड़ियों के होने की वजह से टीम इंडिया में खेलने का मौका नहीं दिया गया। 15 साल तक मुंबई की तरफ से खेलने के बाद साल 2009 में अमोल मजुमदार ने असम और आन्ध्र की तरफ से खेलना शुरू कर दिया। अमोल के नाम 171 मैचों में 11,167 फर्स्ट क्लास रन हैं। इसमें 30 शतक भी शामिल है।

येरे गौड़

येरे गौड़ को रेलवे अपनी टीम का राहुल द्रविड़ मानता था। येरे गौड़ ने साल 1994-95 में कर्नाटक की तरफ से रणजी खेलना शुरू किया था। इसके बाद वे रेलवे की तरफ से भी खेलने लगे थे। साल 2001-02 और 2004-05 में उन्होंने टीम को ख़िताब दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। येरे गौड़ को साल 2006-07 में एक बार फिर कर्नाटक टीम का नेतृत्व करने का मौका मिला लेकिन फिर रेलवे में आ गये। उन्होंने साल 2012 में घरेलू क्रिकेट में अपने 17 साल पूरे किए। गौड़ ने 45.53 के औसत से 7650 रन जुटाए। इसमें 16 शतक भी शामिल थे। गौड़ ने 2001-02 के सीजन में सबसे ज्यादा 761 रन बनाये थे।

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