क्रिकेट में कुछ खिलाड़ी काफी अच्छी किस्मत के मालिक होते हैं. उन्हें एक के बाद एक साढ़ी मिलती जाती है. लेकिन हर किसी की किस्मत इतनी अच्छी नहीं होती है कि वो एक बार एक ऊचाईयां छूते जाएं. एक युवा खिलाड़ी पर अच्छा परफॉर्म करके टीम में अपनी जगह बनाए रखने का काफी प्रेशर होता है. वहीं, अंडर-19 वर्ल्ड कप युवा खिलाड़ियों के लिए काफी अहम होता हैं. यहां से ही चलकर खिलाड़ी अपने आगे का रास्ता तय करते हैं. कुछ खिलाड़ियों को इसके बाद मंज़िल मिल जाती है, तो कुछ इसके नहीं जा पाते हैं. हम आपको ऐसे तीन खिलाड़ियों के बारे में बताने जा रहें हैं, जिनका करियर अंडर-19 वर्ल्ड कप 2012 के बाद कुछ खास नहीं रहा.
1. कैमरन बैनक्रोफ्ट
कैमरन ब्रैनक्रोफ्ट ने साल 2012 के अंडर-19 के वर्ल्ड कप में 39.20 की औसत से 196 रन बनाए थे. इसके बाद इन्हें ऑस्ट्रेलिया सीनियर टीम में मौका मिला और कैमरन बैनक्रोफ्ट डेविड वॉर्नर के साथ पारी की शुरुआत करने लगे थे, लेकिन बॉल टैंपरिंग केस कैमरन बैनक्रोफ्ट के करियर को पूरी तरह खा गया. उस केस में कैमरन का नाम आ जाना उनके लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं था. इसके बाद उनकी अभी तक अंतर्राष्ट्रीय टीम में वापसी नहीं हो पायी.
2. उन्मुक्त चंद
साल 2012 के अंडर-19 वर्ल्ड कप में इंडिया टीम की कप्तानी कर चुके उन्मुक्त चंद ने साल 2012 में टीम को खिताब भी जितवाया था. साल 2012 के अंडर-19 वर्ल्ड कप के बाद उनको इंडिया में एक उभरते हुए सितारे के तौर पर देखा जाने लगा, लेकिन उन्मुक्त चंद टीम इंडिया में मिले अपने मौके का सही इस्तेमाल नहीं कर सके और फिर वो टीम में कभी नहीं दिखाई दिए. इन दिनों उन्मुक्त चंद अमेरिका क्रिकेट टीम से खेल रहे हैं.
3. समी असलम
समी असलम ने साल 2012 और 2014 में पाकिस्तान के लिए अंडर-19 वर्ल्ड कप खेला था. साल 2014 में खेले गए अंडर-19 वर्ल्ड कप में वो टीम का हिस्सा भी रहे थे. इसके बाद उन्हें पाकिस्तान की सीनियर टीम में बतौर टेस्ट ओपनर मौका दिया गया था. उन्होंने पाकिस्तान की तरफ से खेलते हुए 13 टेस्ट मैचों में 31.58 की औसत से 758 रन बनाए. वहीं, वनडे क्रिकेट के 4 मैचों में समी असलम ने 78 रन बनाए. उनको इस परफॉर्मेंस के बाद उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया था. इन दिनों समी पक्षपात के चलते पाकिस्तान छोड़ यूएस चले गए, जहां वो साल 2023 नंवबर से खेलते हुए दिखेंगे.