चनपटिया प्रखंड के लोहियरिया महुअवा गांव के रहने वाले किसान महेंद्र प्रसाद के बेटे इंजीनियर अजय कुमार ने अपने गांव के बच्चों का भविष्य संवारने के लिए अपनी इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ दी। अजय बच्चों को पढ़ा लिखा कर इंजीनियर, डॉक्टर बनाना चाहते हैं, जिससे कि आने वाले भविष्य में ये बच्चे अपने पैरों पर खड़े हो सकें। गांव में इन बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देकर अजय कुमार एक शिक्षित समाज की स्थापना करना चाहते हैं।
कंपनी में 15 साल तक काम किया
मध्यम वर्गीय परिवार में जन्म लेने वाले अजय के पिता का सपना था कि, उनका बेटा पढ़ लिख कर इंजीनियर बने, और उनके बेटे ने उनका सपना सच कर दिखाया। अजय ने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी हो जाने के बाद साल 2005 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इसके बाद अजय ने मेरिन कंपनी में टेक्निकल सुपरिटेंडेंट के तौर पर कार्य किया। अभियंता के तौर पर अजय ने कंपनी में 15 साल तक काम किया, लेकिन अब वह अपनी नौकरी छोड़कर गांव आ चुके हैं, जहां पर वह बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने का काम कर रहे हैं। अजय हमेशा से ही गरीबों की सहायता करना चाहते थे।
तीन बैच में 60 बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाते हैं अजय
साल 2020, मार्च के दौरान जब पूरे देश में लॉकडाउन हुआ तो अजय अपने घर वापस आए। इससे पहले वह जब भी त्योहारों पर गांव आते थे, तो वह गरीबों की मदद करने में हमेशा आगे रहते थे। कोरोना काल के दौरान स्कूल कॉलेज बंद होने के कारण गांव में बच्चों की शिक्षा पर प्रभाव पड़ रहा था, जिसके लिए अजय काफी ज्यादा चिंतित थे।
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गांव वापस आने के बाद उन्होंने जब अपने गांव के बच्चों को पढ़ाना शुरू किया, तो आसपास के गांव के बच्चे भी उनसे पढ़ने के लिए आने लगे। अब वह तीन बैच में बच्चों को पढ़ाते हैं, जिसमें मैट्रिक और इंटर के साथ मेडिकल और इंजीनियरिंग के बच्चे भी अपनी तैयारी करने के लिए अजय के पास आते हैं। अपने और आसपास के अन्य गांवों के बच्चों को मिलाकर अजय के पास अब पूरे 60 बच्चे पढ़ाई के लिए आ रहे हैं।
कंपनी के द्वारा वापस बुलाए जाने पर छोड़ दी नौकरी
लॉकडाउन के दौरान अजय गांव में ही रहे और लोगों की मदद करते रहे, लेकिन जैसे ही लॉकडाउन खत्म हुआ कंपनी की तरफ से उन्हें वापस बुलाया जाने लगा। अजय ने जानकारी देते हुए बताया कि,
“4 माह तक लगातार गांव में रहने और बच्चों को शिक्षा देने के दौरान बच्चों को भी उनसे काफी ज्यादा लगाव हो गया था। उनके जाने के बाद इन बच्चों की पढ़ाई फिर से रुक जाती और यह सब वैसे ही हो जाते। स्थितियों को देखते हुए उन्होंने नौकरी छोड़ने का फैसला कर लिया। अब यहां पर बच्चों को शिक्षा देने के साथ-साथ स्वयं की खेती का काम भी कर रहे हैं”।
गांव में रहकर अन्य गरीबों की भी सहायता करते हैं अजय कुमार
अजय कुमार के पास पढ़ने वाले छात्र मनीष कुमार ने बताया कि,
“देश भर में लॉकडाउन हो जाने के बाद स्कूल और कोचिंग भी बंद हो गए थे। उस वक्त पढ़ाई में काफी ज्यादा परेशानी आ रही थी। इन्होंने हम सभी की पढ़ाई आरंभ करवाई और अब हमारा कोर्स भी पूरा हो चुका है। शिक्षा के दौरान यह कोई भी फीस नहीं लेते हैं।”
मनीष के अलावा आलोक और पंकज आदि छात्र ने बताया कि,
“जब स्कूल और कोचिंग बंद हो गए थे तब हमारे पास कोई सहारा नहीं था और यह हमारे लिए वरदान बन कर आए थे”।
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सिर्फ बच्चों की शिक्षा ही नहीं गरीबों की सहायता करने के लिए अजय गरीब कन्याओं की शादी करने में भी अपना योगदान देते हैं। अजय के इन सराहनीय कार्यों को देखते हुए गांववासी उनकी तारीफ करते नहीं थकते।