भोजपुरी फिल्म एक्टर खेसारी लाल यादव आए दिन चर्चा में बने ही रहते हैं। उनकी कई फिल्म और उनके कई गानें हिट हो गए हैं। खेसारी आज जिस मुकाम पर है, वहां पर आने के लिए खेसारी ने काफी मेहनत की है। खेसारी ने एक इंटरव्यू के दौरान अपने जीवन से जुड़े कई राज खोले हैं। आइए जानते हैं खेसारी की मेहनत कैसे रंग लाई..
गांव में बीता बचपन
खेसारी ने बताया कि गांव में बचपन बीता है। इस दौरान घर में कई भैंस रहती थी, जिसको मैं चराने के लिए रोज ले जाता था। फिर पिताजी दिल्ली आ गए। फिल्मों में आने से पहले खेसारी यही काम करते थे और भैंस का दूध निकाल कर उसको बेंचने का भी काम करते थे। भैंस का दूध बेचने जाते थे तो उसमें पानी भी मिला दिया करते थे, इससे 10-20 रुपए उन्हें भी मिल जाया करते थे।
खेसारी कहते हैं,
‘गांव से करियर शुरू करने से पहले मैं चोर था और खेतों से सरसों चुराया करता था। दिल्ली में आने के बाद चना बेचने का काम करते थे।’
खेसारी लाल यादव ने बताया कि अपने परिवार का खर्चा चलाने के लिए दिल्ली में धागा की कटाई करता था। जिसके बाद पापा ने शादी करा दी। खर्चा चलाने के लिए दिल्ली के ओखला के संजय कॉलोनी में लिट्टी चोखा की दुकान चलाने लगे। इस काम में पत्नी भी सहयोग करती थी। ये सिलसिला ढाई सालों तक चला। बिहार के छपरा के रहने वाले खेसारी फिल्मों में काम करने से पहले भोजपुरी गाना गाते थे। कई गाने गाए सब फ्लॉप हो गए, लेकिन एक गाने ने खेसारी को रातों रात फेमस कर दिया। 2008 में खेसारी का गाना’ भौजी केकरा से लड़ब पिया अरब गईले ना’ हिट हो गया। इस गाने की 70-80 लाख सीडी की बिक्री हुई थी।
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बीएसएफ की नौकरी छोड़ी
खेसारी ने बताया कि इस दौरान बीएसएफ में नौकरी लग गई। मैं कलाकार था मेरा मन नौकरी में नहीं लगता था। नौकरी छोड़कर फिर दिल्ली आ गया। फिर कुछ पैसे बचाकर एलबम निकाला। एक गाने हिट हो गया तो खेसारी को लोग जानने लगे।
खेसारी ने बताया कि मेरी पहली फिल्म ‘साजन चले ससुराल’ के लिए 11 हजार रुपए मिले थे। पहली फिल्म ‘साजन चले ससुराल’ सिल्वर जुबली हुई। इसके बाद कई फिल्मों का ऑफर मिलने लगा और आज वो भोजपुरी दुनियां के सुपरस्टार्स हो गए।