बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 23 जनवरी को सुबह 11:30 बजे पटना मेडिकल कालेज एवं अस्पताल को अंतरराष्ट्रीय स्टैंड बनाए जाने पर शिलान्यास करेंगे। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत और बीएमएस आईसीएल के पदाधिकारियों के द्वारा शिलान्यास स्थल का निरीक्षण किया गया है। अस्पताल के निर्माण को तीन चरणों में पूरा किया जाना है, जिससे कि निर्माण कार्य के दौरान अस्पताल की चिकित्सीय सेवा को लेकर किसी तरह की दिक्कत ना आए।
जानकारी के अनुसार, इस अस्पताल को बनने में करीब 7 साल का समय लगेगा। अस्पताल में एयर एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी, इमरजेंसी की स्थिति में इमरजेंसी भवन के ऊपर से हेलीपैड से मरीजों को पहुंचाया जाएगा। अस्पताल में 500 बेड के आईसीयू बनवाए जाएंगे। इसके निर्माण में 5540 करोड़ रुपए का खर्चा आएगा, जिसमें कि पूरे 5462 बेड होंगे।
अस्पताल में आने वाले मरीजों की सुविधा के लिए गांधी मैदान से पटना मेडिकल कालेज एवं अस्पताल को जोड़ने के लिए एनआईटी तक डबल डेकर एलिवेटेड रोड बनाई जाएगी। इन सबके अलावा मुख्यमंत्री द्वारा 23 जनवरी को ही टेलीमेडिसिन सेंटर का भी उद्घाटन किया जाएगा। जिसमें मेडिसिन, गाइनी, पेडिएट्रिक्स और सर्जरी विभाग जैसे चार विभाग होंगे।
पटना में होगा विश्व का सबसे बड़ा अस्पताल
पीएमसीएच को पूरी दुनिया का सबसे ज्यादा 5462 बिस्तरों वाला अस्पताल बना दिया जाएगा, जो कि विश्व का सबसे बड़ा अस्पताल होगा। नीतीश सरकार द्वारा अस्पताल को लेकर सभी तैयारियां शुरू हो चुकी है। इस अस्पताल को बनाने में 5540.07 करोड़ रूपये की लागत होगी।
दिल्ली एम्स की जगह पटना एम्स राष्ट्रीय सेंटर ऑफ एक्सीलेंस घोषित
केंद्र सरकार के द्वारा दिल्ली एम्स को राष्ट्रीय सेंटर ऑफ एक्सीलेंस घोषित किया गया था, जहां पर सभी राज्य सरकारों को अपनी राजधानी में एक कोवीद डेडीकेटेड अस्पताल बनाने के लिए कहा गया था। लेकिन अब एम्स पटना के द्वारा किए गए कार्यों को देखते हुए सरकार ने इसे ही सेंटर ऑफ एक्सीलेंस घोषित कर दिया। इसके मुताबिक अब पटना एम्स में कोरोना का इलाज किया जाएगा और साथ ही साथ संक्रमण के रोकथाम के उपाय की योजना और स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।